'रंगीले' शाह की मंत्रीमंडल में वापसी के लिए जमावट

आत्मदीप/भोपाल। मध्यप्रदेश में विधान सभा चुनाव के मद्देनजर निकट भविष्य में तीन बड़े फैसले होने के हालत बन रहे हैं। प्रदेश को इसी महीने एक और काबीना मंत्री, नया मुख्य सचिव और नया जिला मिलने के आसार हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने काबीना मंत्री पद से हटाए गए विजय शाह को क्लीन चिट देकर मंत्रिमंडल में उनकी वापसी की राह खोल दी है। राज्य के मुख्य सचिव आर परशुराम का कार्यकाल बाकी होने और उनके काम से मुख्यमंत्री के संतुष्ट होने के बावजूद चुनावी तकाजे ने नए मुख्य सचिव की नियुक्ति के आसार बढ़ा दिए हैं। शाजापुर जिले को बांट कर आगर को नया जिला बनाने की तैयारी अंतिम दौर में पहुंच गई है। इसके अलावा 14 जिलों में नई तहसीलों के गठन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।

मुख्यमंत्री ने आदिवासी नेता विजय शाह से अप्रैल में मंत्रिमंडल से इस्तीफा ले लिया था। वे आदिम जाति व अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री थे। वरिष्ठता के लिहाज से मंत्रिमंडल में आठवें क्रम पर थे। चौहान के अलावा उनसे पहले उमा भारती व बाबूलाल गौर ने भी शाह को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था। 2003 में भाजपा सरकार बनने के बाद से लगातार काबीना मंत्री बनते आ रहे शाह की छुट्टी की वजह उनके अमर्यादित बोल बने थे। उन्होंने 15 अप्रैल, 2013 को झाबुआ के स्कूल में आयोजित छात्राओं के कार्यक्रम में चौहान की पत्नी, मंच पर बैठी विशिष्ट महिलाओं व छात्राओं को लेकर मसखरे अंदाज में ऐसी टीका-टिप्पणियां कर दी थीं जिन्हें अवांछित व द्विअर्थी माना गया।

अब चुनावी बेला करीब आने के साथ शाह की कैफियत सत्ता व संगठन के गले उतर गई है। इसका सबूत खुद मुख्यमंत्री ने झाबुआ में ही यह कह कर दिया कि शाह से जुड़ी सीडी में कांट-छांट की गई थी। शाह ने जो कहा, उसमें उनका भाव वाकई गलत नहीं था। चौहान ने शाह को साथ ले जाकर भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की जनजागृति पद यात्रा की समापन सभा में शिरकत की। 26 जुलाई को झाबुआ में आयोजित इस सभा में चौहान ने शाह का स्वागत भी किया। साथ ही चौहान ने साफ किया कि शाह की बातों को बढ़ा-चढ़ा कर ऐसे पेश किया गया जैसे उन्होंने बहुत गलत बात कह दी हो। बाद में उनके और प्रदेशाध्यक्ष के सीडी देखने पर सारी स्थिति साफ हो गई। शाह ने इसलिए इस्तीफा दिया था ताकि उनके कारण सरकार व पार्टी की छवि को कोई नुकसान न पहुंचे।

मुख्यमंत्री की इस सार्वजनिक टिप्पणी के बाद शाह की मंत्रिमंडल में वापसी के आसार बन गए हैं। शाह के पिता मकड़ाई (जिला हरदा) नामक आदिवासी गौंड रियासत के राजा रहे हैं। पाकिस्तान के दिवंगत प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो भी इस रियासत के मंत्री रह चुके हैं। शाह खंडवा जिले की हरसूद सीट से पांच विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। उनके छोटे भाई संजय शाह भाजपा से टिकट न मिलने पर निदर्लीय हैसियत से चुनाव जीतकर टिमरनी (हरदा) से विधायक बने हैं। विजय शाह की पत्नी भी भाजपा टिकट पर खंडवा नगर निगम की महापौर चुनी गई हैं। शाह घराना खंडवा, हरदा, बैतूल,झाबुआ, बड़वानी, खरगौन, धार आदि जिलों में अच्छा असर रखता है, खासकर आदिवासी समुदाय में।

शाह की तरह आरोपों के चलते मंत्रिमंडल से हटाए गए अनूप मिश्रा भी आरोप मुक्त होने के बाद फिर से मंत्री बनाए जा चुके हैं। चौहान की मंत्रिपरिषद में 35 सदस्य हो सकते हैं, पर अभी 31 ही हैं। लिहाजा चार मंत्री और बनाए जा सकते हैं।

मुख्यमंत्री अपने पंसदीदा मुख्य सचिव आर परशुराम का कार्यकाल 30 सितंबर तक बढ़वा चुके हैं। इस तारीख से पहले विधान सभा चुनाव की घोषणा होने के साथ चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने के आसार हैं। ऐसा होने पर नए मुख्य सचिव की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार के हाथ से निकल कर चुनाव आयोग के हाथ चला जाएगा। आयोग राज्य सरकार से पैनल मंगा कर वरिष्ठता के आधार पर मुख्य सचिव की नियुक्ति के बारे में फैसला लेगा। इस स्थिति से बचने के लिए मुख्यमंत्री परशुराम का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपनी पसंद का मुख्य सचिव बनाना चाहेंगे।

लिहाजा सत्ता के हलकों में इसके लिए वरिष्ठ आइएएस अफसरों के नामों पर विचार-विमर्श चल पड़ा है। इस दौड़ में मुख्यमंत्री के भरोसेमंद अपर मुख्य सचिव इंद्रनील शंकरदाणी व एंटोनी डिसा सबसे आगे माने जा रहे हैं। सूबे के प्रशासनिक मुखिया की जिम्मेदारी समझने के लिए इनमें से किसी का चयन कर नियुक्ति से पहले ओएसडी बना कर मुख्य सचिव कार्यालय में तैनात किया जा सकता है।

दूसरी ओर मालवांचल के आगर को प्रदेश का 51 वां जिला बनाने की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। नया जिला उज्जैन संभाग के शाजापुर जिले की कोख से जन्म लेगा। इस जिले में नौ तहसीलें व आठ विकासखंड हैं। विधान सभा की पांच सीटें हैं जिनमें से चार भाजपा व एक कांग्रेस के पास है। इस जिले को बांट कर नए जिले आगर के गठन के प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद इसी महीने मंजूरी दे सकती है। इस बारे में दावे व आपत्तियां मांग कर उनका निपटारा किया जा चुका है। अब संबंधित विभागों से हरी झंडी ली जा रही है। ग्वालियर, अशोक नगर, कटनी व शाजापुर जिलों में चार नई तहसीलों के गठन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

अब देखिए वो वीडियो जिस पर विवाद हुआ था और बाद में सीएम ने इसे अश्लील नहीं माना



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