भोपाल। पूरे देष में जहां तेंलगाना के बाद अलग-अलग जगह से छोटे-छोटे राज्यों कि मांग व उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में विभाजित करने कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की मांग का स्वागत करते हुये प्राध्यापक व मनमाड़-इंदौर रेलवे मार्ग के याचिका कर्ता मनोज मराठे ने महाराष्ट्र राज्य में बहुसंख्यक खान्देषी भाषीय लोगो व
क्षेत्र की उपेक्षा को लेकर अलग खान्देष राज्य कि मांग को लेकर महाराष्ट्र के खानदेषी बाहुल जिले नंदुरबार, धुलिया, जलगाँव, ओरंगाबाद, नाषिक, व गुजरात के तापी सुरत जिलों खान्देषी बाहुल तालुकों व म.प्र. के ब्रह्मणपुर, खण्डवा, खरगोन, बड़वानी, जिलों के खान्देषी भाषी बाहुल क्षेत्रों को मिलाकर अलग खान्देष राज्य निर्माण के लिये प्रत्येक जिले में तहसीलवार ग्राम स्तर पर खान्देष राज्य निर्माण समिति का गठन किया जायेगा जिसकी जिम्मेदारी के लिये नंदुरबार जिले के लिये नवनीत शिन्दे, देवा बोराने, धुलिया जिले के लिये अषोक मराठे, डँा. संदीप सोजड़, जलगँाव जिले के लिये डँा. हेमन्त ढगे, संजय चवले को नियुक्त किया गया है, जो अपने जिला क्षेत्रों से ग्राम स्तर तक खान्देषी राज्य निर्माण के लिये समिति का गठन करेगे, दूसरे चरण में म.प्र. व गुजरात राज्य के लिये खान्देषी भाषी बाहुल क्षेत्रों के लिये समिति का गठन किया जा रहा है।
श्री मराठे ने रोष व्यक्त किया कि आजादी के बाद खान्देषी भाषी जनसमुह जिसमें मराठा, पाटिल, तैली, सोनार, सिम्पी, कोली, भोई, भील, व ऐसे अनेक समूह का विकास आज भी संतोषजनक नही हुआ है, अधिकांष परिवार मजदूरी कर जीवन यापन करते है। जबकी खान्देष क्षेत्र में देष का 80ः केला, 30ःगन्ना, 40ःकपास व शत प्रतिषत अंगुर, अनार जैसी नगद फसलें तापी नदी का पानी होकर भी बड़े उघोग नही खोले, परिणाम, बेराजगार युवा गुजरात व मुबंई रोजगार के लिये बड़ी संख्या में पलायन कर गये है। सरकार चाहती तो बड़ी-बड़ी कपड़ा मिले व केले के झाड़ से जापान की तरह धागे व कपड़ा बनाने कि मिलें लगा कर रोजगार के बड़े-बड़े अवसर पैदा किये जा सकते थे, किंतु आजादी के बाद से इस क्षेत्र की उपेक्षा कि गयी, यही नही इस क्षेत्र में 100 वषा› से एक मात्र मांग मनमाड़-इंदौर रेलवे मार्ग कि मांग कि जा रही है, जो खान्देष क्षेत्र के विकास की भाग्य रेखा बन जाती पर केंद्रीय व राज्य सरकारों ने इस मांग की हमेषा उपेक्षा की। 17ः फायदे के खान्देष क्षेत्र के इस रेलमार्ग की उपेक्षा के साथ सोतेला व्यहवार किया पर 7ः घाटे की बीड़-अहमदनगर,
व नरखेड़ी रेलमार्ग बना दिया। केन्द्र सरकार ने बिहार के लिये अरबों रूपयों का पेकैज दिया पर मनमाड़-इंदौर रेलमार्ग के मात्र तीन हजार करोड़ रूपये न देकर सोतेला व्यहवार किया जा रहा है।
‘खान्देष राज्य’ के लिये करेगे संघर्ष-
श्री मराठे ने बताया की खान्देष राज्य की मांग के लिये गाँधीवादी तरीके से ग्राम से जिला स्तर तक आंदोलन चलाया जायेगा जिस हेतंु म.प्र. में संजय सोनी व लक्ष्मण सोनी को प्रभारी नियुक्त किया गया है। जिसके प्रथम चरण में राष्ट्रपति के नाम पत्र लिख कर 1956 के राज्य पूर्नगठन आयोग की तरह पूनः राज्य पूर्नगठन
आयोग के गठन की मांग की जाकर भाषायी आधार पर खानदेष राज्य के निर्माण की संभावनाओं को लेकर सर्वेक्षण की मांग की जायेगी, ताकी उपेक्षित क्षेत्र के सामाजिक, आिथक, विकास के लिये खान्देष को अलग राज्य का दर्जा देने के दावे को मजबुत तरिके से पेष किया जा सके। इसके गठन से क्षेत्र के विकास के लिये जहा अलग से केंद्र से आर्थिक सहायता मिलेगी वही गठन के बाद यह राज्य अपने बलबुते पर ताप्ती व नर्मदा नदी क्षेत्रों पर बड़े-बड़े उघोग लगाकर रोजगार की बाड़ ला देगा।
मनोज मराठे,
संयोजक खान्देष राज्य निर्माण समिति
मो. 8109470595
9826822501