भोपाल। अपनी पांच मासूम बेटियों की नृशंस हत्या करने वाले दरिंदे पिता मगनलाल आदिवासी की फांसी का समय नजदीक आ गया है। उसे गुरुवार को तड़के जबलपुर केंद्रीय जेल में फांसी पर लटका दिया जाएगा। जेल प्रशासन ने इस हत्यारे पिता की प्रस्तावित फांसी को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
11 जून 2010 को मप्र के सीहोर स्थित इछावर गांव में नशे में धुत मगनलाल पिता मांगीलाल आदिवासी ने मानवता को हिलाकर रख दिया। उसकी दो पत्नियों संता और बसंता से पांच बेटियां थीं। घटना के दिन उसकी दोनों पत्नियां घर पर नहीं थीं। नशे की हालत में मगन ने कुल्हाड़ी से फूलकुंवर (6) सविता (5)आरती (4) लीला (3) और जमुना (2) की गर्दनें काट दी थीं। बच्चियों की हत्या करने के बाद मगन ने पेड़ पर फंदा लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया, लेकिन रिश्तेदारों ने उसे बचा लिया। पुलिस ने मगन को गिरफ्तार कर लिया।
इस मामले में सीहोर के सत्र न्यायाधीश ने हत्यारे पिता को फांसी की सजा सुनाई थी। जिसपर उसने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को यथावत रखते हुए 22 जुलाई 2013 को याचिका निरस्त कर दी थी।
फांसी का तख्ता तैयार
सूत्रों ने बताया मगनलाल को फांसी देने के लिए जेल प्रशासन ने फांसी का तख्ता तैयार कर लिया है। वर्तमान में उसमें आयल और ग्रीस लगाया जा रहा है। बताया जाता है कि जबलपुर स्थित केंद्रीय जेल के पश्चिम भाग में फांसी का तख्ता बना हुआ है। जो प्रारंभ में 3 फीट और अंत में 1/2 फिट ऊंचा है। तख्ते के साथ एक कमरानुमा क्षेत्र है, जिसमें 6 सीढ़ियां नीचे उतरने के लिए एक फीट चौड़ी, 9 इंच ऊंची बनी हुई है। सबसे नीचे की सीढ़ी 2 फीट चौड़ी और 9 इंच ऊंची है।
‘राम सिंह‘ को रोजाना दी जाती है ‘फांसी‘
जेल सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय जेल जबलपुर में आरोपी मगनलाल को फांसी दी जाने वाली है। फांसी के लिए पूर्व अभ्यास किया जा रहा है। इसके लिए एक लकड़ी का पुतला तैयार किया गया है, जिसको वरिष्ठ जेलर के चार्ज में रखा गया है। इसे रामसिंह नाम दिया गया है। जब भी फांसी दी जाती है। उस समय नई रस्सी लाई जाती है और लकड़ी के इस पुतले से अभ्यास एवं जल्लाद के मार्गदर्शन में फांसी पूर्व की व्यवस्था प्लेटफार्म के ऊपर की जाती है।
कसाब को फांसी देने वाला जल्लाद पहुंचा
मुंबई हमले के दोषी कसाब और अफजल गुरु को फांसी लटकाने वाले देश के एक मात्र जल्लाद को मगनलाल को फांसी देने के लिए बुलाया गया है जो जबलपुर पहुंच चुका है और उसने फांसी के तख्ते पर एक-दो बार ट्रायल कर लिया है।
1997 में आखिरी फांसी
प्रदेश में आखिरी फांसी 1997 में केंद्रीय जेल जबलपुर में कामता प्रसाद को दी गई थी। इससे पहले 1996 में इंदौर केंद्रीय जेल में एक व्यक्ति को फांसी दी जा चुकी है। इंदौर जेल में जल्लाद न होने से एक सिपाही ने ही कैदी को फांसी दी थी।
गीता के सार के बाद होगी फांसी...
नियमानुसार को जिस व्यक्ति को जेल में फांसी दी जाती है। उसे उसके धर्म के हिसाब से धर्म गुरु द्वारा कुरान, गीता का सार, बाइबिल पढ़कर सुनाया जाता है। माना जाता है कि इससे मरने वाले की आत्मा को शांति मिलती है और उसके जन्म के दौरान किए गए पाप समाप्त हो जाते हैं। चंूकि जिस मगनलाल को फांसी दी जानी है। वह हिंदू है, इसलिए उसे फांसी से पहले पंडितों द्वारा गीता का सार बताया जाएगा।
60 से 61 किलो हुआ वजन
सूत्रों का कहना है कि मगनलाल का केंद्रीय जेल जबलपुर में आने के समय उसका वजन करीब 60 किलो था। जो अब बढ़कर 61 किलो हो गया है। इसके पीछे उसे रोजाना दिया जाने वाला पौष्टिक भोजन और फल है।
वजन के हिसाब से तैयार होता है फांसी का फंदा
जेल विभाग से रिटायर्ड उप महानिरीक्षक ने बताया कि जिस कैदी को फांसी दी जाती है। उसकी शारीरिक स्थिति के अनुसार फंदे की रस्सी की लंबाई निश्चित होती है। 8 अगस्त को मगनलाल को फांसी होना है, उसके 61 किलो वजन के हिसाब से 1.6746 मीटर की रस्सी का फांसी के लिए ली जाएगी।
जबलपुर में हुई 234 फांसी
सूत्रों ने बताया कि जबलपुर जेल में 234 लोगों को फांसी पर लटकाया जा चुका है। स्वतंत्रता के पूर्व 202 को और स्वतंत्रता के बाद करीब 50 लोगों को फांसी पर लटकाया जा चुका है। बताया जाता है कि जिन 234 लोगों को फांसी दी गई। उनकी आयु 17 से 60 वर्ष तक थी।
भगवान करें वो दिन न आए
अंतिम दिनों में मंगनलाल से मिलने आए उसके बेटे ने मुलाकात के दौरान मंगनलाल से कहा कि भगवान करें वो दिन न आए जब आपको फांसी दी जाएगी।
इंग्लैंड के लोहे से बना है फांसी के फंदे का खंभा
जेल में जिस फांसी के खम्भे पर मगनलाल को फांसी दी जाएगी। उसका लोहा इंग्लैंड की कंपनी Lankashire-Steel co.cargo steel england का है।
इस तरह मगनलाल पहुंचा फांसी के तख्ते तक...
* मगनलाल ने 11.6.2010 को शाम बजे अपनी पांच बेटियों का कुल्हाड़ी से गला काटकर हत्या कर दी।
* पांच मासूम बेटियों के हत्या के मामले में सत्र न्यायाधीश सीहोर द्वारा मगनलाल को 3.2.2011 को मृत्यु दण्ड की सजा दी।
* इसके बाद मगनलाल ने मृत्यु दण्ड के मामले में हाई कोर्ट में अपील की। यहां भी कोर्ट ने अपील को खारिज कर मृत्यु दण्ड की सजा को बरकरार रखा।
* जिसके बाद मगनलाल द्वारा सुप्रीमकोर्ट में मृत्यु दण्ड के संबंध में अपील की। जिसको कोर्ट ने 9.1.2012 को खारिज कर दिया।
* मृत्यु दण्ड की सजा माफी के लिए मगनलाल की तरफ से राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी गई।
* इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा मगनलाल द्वारा प्रस्तुत की गई दया याचिका को गंभीर अपराध मानते हुए 22 जुलाई 2013 को खारिज कर दिया।
* राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के बाद जिला सत्र न्यायाधीश सीहोर द्वारा 8 अगस्त 2013 को मृत्यु दण्ड दिए जाने का वारंट जारी कर दिया गया।