रीवा। 15 वर्षों से कार्य कर रहे गुरुजीयों के साथ सरकार ने सहानभुति पूर्व विचार नही किया 28 फरवरी को माननीया शिक्षा मंत्री जी द्वारा विधान सभा में घोषणा की गई थी कि जल्द ही हम प्रदेश के समस्त गुरुजी के सम्बन्ध निर्णय लेने वाले जिसमे प्रदेश के सभी गुरुजीयों लाभ मिलेगा पर कुछ नही हुआ।
प्रदेश के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी से विनम्र निवेदन है। कि आप के शासन काल में सभी कर्मचारियों को कुछ न कुछ आप ने दिया पर गुरुजी को कुछ देने का विचार ही आपनें किया दिया नही माननीय मुख्यमंजी जी आपसे एक सवाल हम गुरुजी करना चाहते है कि क्या हम प्रदेश के कर्मचारी नही है।
क्या हम जनता की सेवा नही करते हम भी उसी तरह कार्य करते है जिस तरह प्रदेश में सभी कर्मचारी कार्य करते है। हम लोगो को 3600 रुपये मिलता है, माननीय मुख्यमंत्री जी के पास हम लोगो की आवाज लगता है कि आज तक नही पहुची, हम लोगो को मानरेगा में कार्य करने वाले मजदूर के बराबर भी मानदेय नही मिलता, हम लोगो के भी परिवार है प्रदेश की सरकार से हम लोगो का प्रश्न है 3600 रुपये मासिक में कौन सा परिवार आज जीवन यापन करता है कोई नही । हम लोगो की परीक्षा सरकार द्वारा आयोजित की गई 2008 में जिसमे पास होने कें लिये 40 - 40 100 का रखा गया।
जिसमे प्रदेष के कुछ गृरुजी पास हो गये षासन के इस फैसले के खिलाफ गुरुजी कोर्ट गए माननीय उच्च न्यायालय द्वारा गुरुजी के पक्ष मे हुआ फिर भी षासन ने कोर्ट के आदेष को नही माना । दुसरी परीक्षा आयोजित किया गया 2009 मे जिसकी परीक्षा 2011 मे हुई उसमे षासन 20 नम्बर डीएड का दिया षासन हम गुरुजी की माॅग है कि 2008 की परीक्षा में भी 20 नम्बर डीएड का देने का विचार नही आदेष करें । माननीय मुख्यमंत्री से हम लोगो का पुनः निवेदन है कि या तो हमे गरीबी रेखा में ले लिया जाय तो हम लोगो का भी काम चलने लगे
आज रीवा में गुरुजी संघ की बैठक में इस मुददे पर चर्चा हुई जिसमें विनय श्रीवास्तव , रघुपति सिंह, सुर्यमणि पाण्डेय, अजय सिंह , सुभाश षुक्ला , अरुणा अग्निहोत्री , मनसा पाण्डेय, रागिनी सिंह , आदि गृरुजी उपस्थित थे। समूह त्याग पत्र देने पर विचार चल रहा है अगर षासन ने जल्द ही कुछ निर्णय नही लिया तो सभी गुरुजी त्याग पत्र आपने - आपने जिला कार्यालय में त्याग पत्र सौपेगे।