मण्डला/ राज्य शिक्षा संवर्ग के गठन हो जाने के बाद सीमित परीक्षा के द्वारा मात्र 25 प्रतिशत वरिष्ठ अध्यापकों को प्राचार्य पद पर पदोन्नति के अवसर दिये जाने को राज्य अध्यापक संघ ने अध्यापक संवर्ग के साथ धोखा बताया है। राज्य अध्यापक संघ के जिला शाखा अध्यक्ष डी.के.सिंगौर ने राज्य शिक्षा सेवा संवर्ग के प्रावधानों में संशोधन की मांग करते हुये बताया कि सरकार जब विद्यालय में प्राचार्य पद पर गुणवत्ता ही चाहती है तो फिर प्रतिशत का बंधन क्यों रखा गया है।
क्वालिटी चाहे व्याख्याता से आये या वरिष्ठ अध्यापक से अवसर बराबर दिये जाने चाहिये वैंसे भी यदि संख्यात्मक अनुपात में देखा जाये तो वरिष्ठ अध्यापकों की संख्या को देखते हुये 25 प्रतिशत का प्रावधान उचित प्रतीत नहीं होता। वहीं दूसरी ओर राज्य अध्यापक संघ ने राज्य शिक्षा सेवा की खूबियों की प्रशंसा करते हुये बताया कि अब प्रारम्भिक और माध्यमिक स्तर की शिक्षा सम्बंधी कार्यो के लिये अलग अलग दफतरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगें। प्रायमरी से लेकर हायर सेकेण्डरी तक के स्कूलों के सारे काम एक साथ एक ही आफिस में करवाये जा सकेंगें।
इसके लिये हर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में एक की जगह देा सहायक संचालक स्तर के दो अधिकारी पदस्थ होंगें। इनमें से एक प्रारंभिक शिक्षा यानि कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों का काम देखेगा। इसी तरह दूसरा सहायक संचालक कक्षा 9वीं से 12वीं तक के स्कूलों पर नजर रखेगा।
इस नई व्यवस्था के लागू होते ही सारी शिक्षा व्यवस्था के लिये एक अधिकारी की जिम्मेदारी तय हो जायेगी। कक्षा एक से आठवी तक के स्कूलों का काम देखने वाले डी.पी.सी. का पद समाप्त कर दिया जायेगा।
इस व्यवस्था से सारा काम डी.ई.ओ. में होने लगेगा। सम्बंधित जिले के डी.पी.सी. के पद को सहायक संचालक पद पर उन्नत कर डी.ई.ओ. में ही बैठा दिया जायेगा। स्कूल शिक्षा विभाग से सम्बंधित प्रायवेट व सरकारी स्कूलों पर ब्लाक स्तर से नियंत्रण शुरू किया जायेगा। इसके लिये बी.ई.ओ. के पद को उन्नत कर एरिया एज्यूकेशन आफिसर (ए.ई.ओ.) बनाया जायेगा। यह ए.ई.ओ. सम्बंधित ब्लाक के अन्तर्गत आने वाले स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई सहित सभी गतिविधियों पर नजर रखेंगें। हर ए.ई.ओ. के अधीन कुछ स्टाफ भी काम करेगा। इस नई व्यवस्था में बी.ई.ओ. को पावरफुल अधिकारी बना दिया जायेगा।