भोपाल। मध्यप्रदेश के नए जननायक के रूप में उभर रहे स्वास्थ्य विभाग के सचिव प्रवीर कृष्ण ने आदेशित किया है कि प्रदेश के जिला अस्पतालों, सिविल अस्पतालों के अलावा प्रसव वाले स्वास्थ्य केंद्र अब बिना किसी ठोस कारण के गर्भवती महिलाओं को रिफर नहीं किया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग ने नया निर्देश जारी कर डॉक्टरों को रिफर न करने के आदेश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण ने बताया कि कुछ स्वास्थ्य केंद्रो में डॉक्टर अपनी मर्जी से इलाज न करने के कारण गर्भवती महिला को रिफर कर देते हैं। जिससे गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानी होती है।
सभी प्रसव वाले स्वास्थ्य केंद्रो में गर्भवती महिलाएं भर्ती हो और उनकी डिलेवरी हो इसके लिए रिफर सिस्टम में सुधार किया जा रहा है। संबंधित डॉक्टर मरीज के पर्चा में सही जानकारी लिखेगा और अगर रिफर करता है तो उसका कारण भी लिखेगा इसके बाद ही वह रिफर कर सकेगा। डॉक्टर अगर इलाज करने की झंझट से गर्भवती महिलाओं को रिफर करता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग की टीम ने प्रदेश के स्वास्थ्य सेंटरों की हकीकत जाना था,जिसमें उन्हें कई कमियां मिलीं थी डॉक्टर,स्टाफ के कार्यों का फरफारमेंस भी संतोषजन नहीं पाया गया था। हालांकि जेपी की अधीक्षिका वीणा सिन्हा ने बताया कि जेपी से बिना ठोस कारण के किसी भी गर्भवती महिला को रिफर नहीं किया गया है।
सभी स्वास्थ्य केंद्रों में होगी मरीजों की जांच: प्रदेश में एक साथ शुरु की जाएगीं पैथलॉजी लैब
भोपाल। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अपने हांथ कड़े कर लिए हैं। गुरुवार को प्रमुख स्वास्थ्य सचिव द्वारा प्रदेश के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों के लिए पैथलोजी प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं। गत एक वर्ष से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के अभियान का प्रथम चरण पूर्ण होने के बाद अब द्वितीय चरण में ग्राम स्वास्थ्य अभियान का संचालन किया जायेगा। प्रथम चरण में रोगियों के लिये औषधियों की आपूर्ति, नि:शुल्क जाँच, आंतरिक रोगियों के लिये भोजन और परिवहन सुविधा बढ़ाते हुए द्वितीय चरण में ममता अथवा कायाकल्प अभियान पर ध्यान दिया जायेगा । हालांकि पैथलॉजी लैब की सेवा देने के निर्देश तो दे दिए हैं, लेकिन जय प्रकाश जिला अस्पताल में ही पैथालॉजी का संवहन ठीक से नहीं किया जा रहा है। पैथलॉजी लैब की सेवा देने के लिए सभी मु य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों और विकासखंड चिकित्सा अधिकारियों को वित्तीय अधिकार प्रदान किये गये हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, सचिव, आयुक्त एवं स्वास्थ्य संचालक द्वारा प्रदेश के सभी 50 जिलों के भ्रमण का कार्य भी पूरा हो गया है।
इन विन्दुओं पर पीएस का विशेष ध्यान
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाकर रोगियों को आवश्यक लाभ दिलवाने के लिये 30 बिन्दु पर क्रियान्वयन के निर्देश दिये गये हैं। स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों ने जिलों के भ्रमण के दौरान भी इन 30 बिन्दु पर कार्यवाही की अपेक्षा की है। इनमें प्रमुख रूप से चिकित्सकों के मु यालय पर रहने, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा बेहतर सेवाएँ प्रदाय करने बाह्य रोगी कक्ष के कार्य संचालन, आपातकालीन ड्यूटी करने, विशेषज्ञों को बुलाये जाने पर दायित्व निर्वहन, सिविल सर्जन और मु य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा जिले का एक विकासखंड गोद लेने, सेक्टर मेडीकल आफीसर्स द्वारा ग्रामों के भ्रमण, रोगियों को आवश्यकतानुसार शल्य चिकित्सा उपलब्ध करवाने, प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यकर्ताओं और बहुउद्देश्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के मोबाइल न बर की जानकारी रखने, सामान्य प्रसव के केस को मेडीकल कालेज न भेजने,प्रत्येक केंद्र में कम से कम एक स्टाफ नर्स और दो स्वास्थ्य कार्यकर्ता के उपलब्ध रहने, औषधियों की जाँच और भोजन की बेहतर व्यवस्थाएँ संचालित करने, स्वच्छता और सुरक्षा का पूरा ध्यान रख्रने के बिन्दु शामिल हैं। इसके अलावा शिशु और मातृत्व मृत्यु दर को कम करने के लिये रोगियों को सभी जरूरी स्वास्थ्य सेवाएँ देने को कहा गया है। रोगियों के हित में सांयकालीन ओ.पी.डी. प्रारंभ करने, ओ.पी.डी. रजिस्टर संधारित करने, टीकाकरण कार्य यथासमय करने, अच्छे कार्य के लिये स्टाफ को पुरस्कृत करने, प्रतिमाह दोषियों के विरूद्व अनुशासनात्मक कार्यवाही और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत अधोसंरचनात्मक कार्य और निर्माण कार्यो की समीक्षा पर भी ध्यान देने को कहा गया है। अगर इन सुबिधाओं व्यवहारिक रुप से चालू कर दिया गया तो निश्चित रुप से ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।
राजधानी में ही पैथलॉजी लैब की सेवा मरीजों को नहीं दी जा रही है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में पीएस पैथलॉजी का निर्वहन कैसे करवाएंगे। स्वास्थ्य विभाग की भूल सुधार योजनाएं दिन व दिन उपज रहीं हैं। लेकिन जेपी में पैथलॉजी की जर जर हालत को दरकिनार नहीं किया जा सकता। नए भोपाल में एकमात्र जिला अस्तपताल है, जिसमें औसतन 1400 मरीज आते हैं। यहां की पैथलॉजी में कोई स्पेशलिस्ट नहीं है। अगर कभी वह आते भी हैं तो मरीजों को नहंी देखते। वर्षों से जेपी के मरीजों को पैथलॉजी की स ास्या जेपी में रही है। लेकिन विभाग के इस निर्णय से सभी को आश्चर्य है, कि राजधानी में तो पैथलॉजी नहीं चला पा रहे, गांवों में कैसे चलेगी।