भोपाल। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) एक बार फिर अपने वादे पर खरा नहीं उतर पाया है। संगठित क्षेत्र के करोड़ों कर्मचारियों को अपनी भविष्य निधि (पीएफ) निकालने और ट्रांसफर कराने की ऑनलाइन सुविधा के लिए अभी और इंतजार करना होगा।
सभी सदस्यों के आंकड़ों को डिजिटल प्रारूप में लाने का काम पूरा न हो पाने के कारण पीएफ निकासी और स्थानांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। ईपीएफओ ने 1 जुलाई से यह सुविधा शुरू करने की घोषणा की थी।
ईपीएफओ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार डेटा डिजिटलाइजेशन का काम पूरा न हो पाने के कारण सेंट्रल क्लियरेंस फैसिलिटी शुरू नहीं हो पाई है। 1 जुलाई से यह फैसिलिटी शुरू की जानी थी। सेंट्रल क्लियरेंस फैसिलिटी शुरू करने के लिए सभी सदस्यों का डेटा डिजिटल फॉर्म में उपलब्ध होना जरूरी है। इससे पहले, पूर्व सेंट्रल पीएफ कमिश्नर अनिल स्वरूप ने क्लेम सेटलमेंट की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सेंट्रल क्लियरेंस फैसिलिटी शुरू करने की घोषणा की थी।
कर्मचारियों को नौकरी बदलने पर अपना पीएफ खाता स्थानांतरित कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सेंट्रल क्लियरेंस फैसिलिटी से इस प्रक्रिया में आसानी होगी। सेंट्रल क्लियरेंस फैसिलिटी सदस्यों को पीएफ की निकासी और स्थानांतरण के लिए ऑनलाइन सुविधा मुहैया कराएगी। नई व्यवस्था के तहत पूर्व नियोक्ता से सदस्यों के पीएफ खाते को वेरीफाई कराने की जिम्मेदारी ईपीएफओ की होगी। मौजूदा समय में कर्मचारी को क्लेम सेटलमेंट का आवेदन नियोक्ता से वेरीफाई कराना होता है।
वहीं, अपने सदस्यों को स्थायी खाता संख्या उपलब्ध कराने की ईपीएफओ की महत्वाकांक्षी योजना भी अगले वर्ष तक ही पूरी हो पाने की उम्मीद है। सदस्यों को स्थायी खाता संख्या मिल जाने के बाद उन्हें नौकरी बदलने पर खाता स्थानांतरित कराने की जरूरत नहीं होगी। मौजूदा समय में ईपीएफओ के लगभग पांच करोड़ खाताधारक हैं। मौजूदा व्यवस्था में खाताधारकों को अपना पीएफ निकालने में महीनों का समय लग जाता है।