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| शिकायतकर्ता किसानों का दल |
ओलावृष्टि से बर्बाद हुई किसानों की फसल व अन्य नुकसान को देखने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 19 मार्च को शुजालपुर के ग्राम घुंसी पहुंचे थे व मुख्यमंत्री ने खुद मुख्य सचिव आर परशुराम के साथ पीडित किसानों के खेतों में जाकर बर्बाद हुई फसलों को देखा था। व किसानों को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि इस विपदा की घडी में मध्यप्रदेश सरकार किसानों के साथ है। 50 प्रतिशत से उपर हुए नुकसान को भी 100 प्रतिशत माना जाना चाहिए। यह बात खुद सीएम ने कही थी कि किसानों के सर्वे कार्य को उदारतापूर्वक नुकसान का सर्वे अधिकारीयों को करने के निर्देश दिए। और कहा था कि किसानों के सर्वे कार्य में लापरवाही करने वाले अधिकाररियों को माफ नहीं किया जायेगा।
इस मामले में कालापीपल के अरन्याकला ग्राम में मुख्यमंत्री कन्यादान कार्यक्रम में पधारे मंत्री लक्ष्मीकान्त शर्मा ने कलेक्टर को स्पस्ट निर्देश दिये थे कि जिन ग्रामों में सर्वे कार्य में धांधली हुई है उन गावों में विधायक जी के साथ बैठकर समस्या का समाधान किया जावे। उन गांवों का दोबारा सर्वे कार्य किया जावे लेकिन अधिकारीयों द्वारा प्रभारी मंत्री के आदेष कि धज्जियां उडोते हुए मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
कालापीपलल विधानसभा के ग्राम घवोटी के किसानों ने पटवारीयों व अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि पटवारी उमा सोलंकी द्वारा मुआवजे के चेक बनाने में भारी धंधली कि गई है तथा किसानों से खुले रूप् से रूप्यों की पेशकश कि गई है जिन किसानों ने पटवारी को रूपए दिये उनका चेक बना दिया गया व जिन किसानों ने रूपए नही दिये उनका चेक नही बनाया गया।
कालापीपल विधानसभा क्षैत्र के ग्राम धबोटी के दर्जनों किसानों ने पटवारी उमा सोलंकी पर रिष्वत लेने का आरोप लगाया है ग्रामीणों का कहना है कि पटवारी महोदया ने जिन जिन लोगों ने पटवारी के कहे अनुसार रूप्ये दिये उनके मुआवजा राषी के चेक तो बना दिये लेकिन जो लोग रूप्ये देने में असमर्थ थे उन लोगों के चेक नही बनाये । जब इस मामले को लेकर किसान तहसीलदार उमा परमार के पास पहुॅंचे तेा तहसीलदार महोदया ने भी किसानों को डंाट कर भगा दिया व कहा कि अगर दोबारा आये तो तुम्हारे खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवा दुंगी । षासन के नियममानुसार पटवारी को अपने हल्के नम्बर पर ही रहना चाहिए लेकिन ये पटवारी महोदया षाजापुर रहती है तथा इनका मुख्यालय से घर ही 80 किलोमीटर दूर है ये अपने क्षैत्र में महिने दो महिने में एक बार ही आती है। किसान अपना दुखडा लेकर जाये तो कहा जाये । कोई अधिकारी ही इनकी सुनने वाला नही है।
