भोपाल। पिछले कई महीनों में मध्यप्रदेश से गायब हुए नाबालिग बच्चे जालंधर में बंधुआ मजदूरी कर रहे हैं। एक गिरोह ने उन्हें बंधक बनाया हुआ है और उनसे हाड़तोड़ मजदूरी करवाई जा रही है। इसका खुलासा जालंधर पुलिस की एक कार्रवाई में हुआ।
बीते रोज जालंधर पुलिस के हाथ भंट्टां वाली गली से तीन मासूम लग गए। पूछताछ के दौरान इन तीनों में बताया कि उनके जैसे हजारों बच्चे हैं जो मजदूरी कर रहे हैं। उनसे दिनभर बंधुआ मजदूरी करवाई जाती है और ना करने पर कई कई दिनों तक खाने को कुछ नहीं मिलता। 'जालंधर जागरण' में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार वहां इस समय करीब 50 हजार बच्चे मौजूद हैं जो देश के कई इलाकों से लाए गए हैं।
एक हजार रुपए महीना वेतन पर भी लाए गए मासूम
दूसरे राज्यों से रोजगार, कपड़ा, रोटी के नाम पर लाए जा रहे नाबालिग बच्चों को कुछ हजार देकर करोड़ों कमाने का खेल खेला जा रहा है। जबरन छोटे बच्चों को ला महज एक हजार रुपये महीना बच्चे व उसके परिजनों को भेज दिया जाता है। बदले में हजारों रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से कमा की जाती है।
चेहरा देख लगता है मोल
बाल तस्करी के इस खेल में बच्चों का चेहरा देखकर मोल लगाया जाता है। छुड़ाए गए विक्की कुमार व नीरज जैसे बच्चों को होटलों से लेकर घरों तक में काम करवाने के लिए हजारों रुपयों के बदले दे दिया जाता है। थोड़ा कम दिखने वाले बच्चों को कढ़ाई करने, गत्ता बीनने जैसे काम दिए जाते हैं। यदि किसी कारणवश कोई बच्चा काम करने लायक न रह जाए तो उसे भीख मांगने को मजबूर किया जा रहा है।
इन इलाकों में रह रहे हैं बच्चे
जालंधर के मकसूदां, नागरा गांव, बस्ती शेख, बस्ती नौ, दयोल नगर, गढ़ा, 120 फुटी रोड, बस्ती बाबा खेल, राजनगर, काजी मंडी, संतोख पुरा सहित कुछेक इलाकों में दूसरे राज्यों से लाए गए बच्चे बहुतायात में हैं।
यह था मामला
शनिवार रात को भंट्टां वाली गली में एक बच्चा मिला था। नीरज नाम के इस बच्चे को दुकानदारों ने संभाला था। 13 साल के नीरज को राम लखन साहनी उर्फ मामू लेकर आया और यहां पर जबरन गत्ते उठाने का काम करवा रहा था। बोरा भरने पर रोटी मिलती थी और न भरने पर मार पड़ती थी। उसके बाद नीरज की बताई जगह पर जाकर 9 वर्षीय मासूम कुमार व 12 वर्षीय विक्की निवासी समस्तीपुर बिहार को बरामद किया गया।
