आटोनोमस कालेजों की प्रिंटिंग यूनिट को लेकर खुद ही उलझ गया उच्च शिक्षा विभाग

भोपाल। प्रदेशभर के सरकारी आटोनोमस (स्वाध्यायी) कॉलेज बिना प्रिटिंग प्रेस के संचालित हो रहे हैं। कॉलेज परिसर में प्रिटिंग प्रेस स्थापित न कर वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश की अवेहलना करने पर उतारू हैं। जबकि इस संबंध में यूजीसी के स्पष्ट निर्देश हैं कि आटोनोमस कॉलेज अपने परिसर में प्रिटिंग मशीन स्थापित करें।

कॉलेज परिसर में प्रिंटिंग प्रेस स्थापित करने का उद्देश्य इन कॉलेजों की गोपनियता को बरकरार रखना है। अब इस संबंध में मप्र उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर के सभी आटोनोमस कॉलेजों को स्वयं की प्रिंटिंग मशीन लगाने के आदेश जारी किए हैं। उच्च शिक्षा विभाग के मुताबिक वे कॉलेज जिन्हें यूजीसी द्वारा आटोनोमस कॉलेज का दर्जा दिया गया है, इन कॉलेजों में यूजीसी की ग्वारहवीं पंचवर्षीय योजना के की गाइन लाइन स्कीम आफ आटोनोमस कॉलेज के आईएम भोपाल भोपाल, सोमवार 15 जुलाई 2013 06 अंतर्गत परीक्षा कार्य गोपनीय दस्तावेज स्वयं की प्रिंटिंग मशीन से छपाने को कहा गया था।

इसके बावजूद भी कई कॉलेज इस गाइड लाइन को दरकिनार करते हुए बाहर से गोपनीय दस्तावेजों की छपाई करवा रहे हैं या कॉलेज में ही अन्य संसाधनों से इनकी पूर्ति करते हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में मात्र 18 सरकारी कॉलेजों को ही यूजीसी सेआटोनोमस का दर्जा दिया है। इसमें से चार कॉलेज राजधानी में स्थित हैं।

विभाग के मुताबिक आटोनोमस कॉलेज प्रबंधन द्वारा प्रश्नपत्र के साथ अन्य दस्तावेजों की छपाई बाहर कराने से गोपनीयता भंग होने का खतरा बना रहता है। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आदेश तो जारी कर दिया गया है, लेकिन आश्चर्य करने वाली बात यह है कि विभाग को ही यह ज्ञात नहीं है कि प्रदेश के कितने आटोनोमस कॉलेज में प्रिंटिंग मशीने लगी हैं और कितने में नहीं।


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