चांद से चेहरे और मलाई जैसी त्वचा की चाहत बड़ी गड़बड़ कर रही है। इसके लिए प्रयुक्त की जाने वाली क्रीम युवतियों की खूबसूरती निखारने में तो मदद कर रही हैं लेकिन उन्हें बांझपन भी दे रही हैं। ऐसी क्रीमों में पाया जाने वाला 'ब्यूट्रोफनोन कंपाउंड' सारी मुश्किलें पैदा करने के लिए जिम्मेदार है, जो 'एंडोमेट्रोसिस' नामक बीमारी को जिम्मेदार है।
प्रत्येक बीस में से एक महिला ब्यूटी क्रीम से मिलने वाली बीमारी की चपेट में है। अब तक इस बीमारी का प्रभाव विदेशों में ज्यादा होता था लेकिन अब भारत में तेजी से यह पैर फैला रही है।
गोरा दिखने की दीवानगी में महिलाएं देसी नुस्खों के अलावा नई-नई ब्यूटी क्रीम का इस्तेमाल कर रही हैं। मसाज करा रही हैं। अमेरिकन जनरल ऑफ गायनोकोलॉजी के एक शोध में ब्यूटी क्रीम का खतरनाक रंग सामने आया है। शोध में एंडोमेट्रोसिस बीमारी के होने की एक वजह ब्यूटी क्रीम में मिलने वाले ब्यूट्रोफनोन कंपाउंड को माना गया है। इसमें एस्ट्रोजन हारमोंस का भी अहम रोल है। वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित टंडन के अनुसार, महिला-युवतियां ब्यूटी क्रीम का इस्तेमाल दिन में चार से पांच बार करती हैं। चेहरे पर लगातार ब्यूटी क्रीम लगाने से ब्यूट्रोफनोन कंपाउंड का कुछ अंश ब्लड में शामिल हो जाता है। यह एंटीबॉडीज के साथ मिलकरच्बच्चेदानी की झिल्ली के खिलाफ टिश्यू रिएक्शन शुरू कर देता है। फिरच्बच्चेदानी में शामिल और उससे अलग हुई झिल्ली के विकास में मददगार बनता है। इससे ट्यूब के रास्ते पेट में पहुंची झिल्ली आपस में जल्द चिपकने लगती है। इससे गांठ बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। उन्होंने बताया कि बीमारी से महिलाओं में बांझपन की समस्या बढ़ रही है। वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा के अनुसार, यह बीमारी भारतीय युवतियों को तेजी से हो रही है। देश में बीस में से एक महिला एंडोमेट्रोसिस बीमारी की चपेट में आ रही है। इसके लिए ब्यूटी क्रीम ही ज्यादा जिम्मेदार हैं।
पश्चिमी देशों की है बीमारी
एंडोमेट्रोसिस पश्चिमी देशों की बीमारी है। वहां दस में एक महिला को यह होती है। भारत में सबसे पहले यह बीमारी दक्षिण भारत के महाराष्ट्र, तमिलनाडु सहित अन्य राज्यों में सामने आई। अब यह उत्तर भारत के यूपी, दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में आ चुकी है। मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
इस उम्र में सबसे अधिक खतरा
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित टंडन के अनुसार, एंडोमेट्रोसिस बीमारी का सबसे अधिक खतरा बीस से तीस साल की उम्र में होता है, लेकिन वर्तमान में 15 से 20 साल की उम्र की लड़कियों में भी यह बीमारी हो रही है। बीमारी से निदान पाने का उपाय ऑपरेशन ही है।
ऑपरेशन में 40 हजार रुपये का खर्चा
एंडोमेट्रोसिस बीमारी की तीन स्टेज होती हैं। पहली स्टेज में दवाओं से बीमारी को नियंत्रित किया जाता है, लेकिन इससे बीमारी जड़ से खत्म नहीं होती है। दूसरी और तीसरी स्टेज पर ऑपरेशन या फिर दूरबीन लेजर तकनीक से गांठों को जला दिया जाता है। ऑपरेशन का खर्चा 35 से 45 हजार रुपये तक आता है। इसके बाद भी बीमारी के दोबारा होने की आशंका रहती है। ऐसे मामलों मेंच्बच्चेदानी को ऑपरेशन कर निकालना पड़ता है।
क्या है एंडोमेट्रोसिस बीमारी
सामान्य तौर परच्बच्चेदानी की झिल्ली हर माह एमसी (माहवारी) में झड़ती है। जब यह झिल्ली ट्यूब से होकर पेट में पहुंच जाती है। फिर पेट में ही यह झिल्ली पनपने लगती है और फिर इसके हिस्से आपस में जुड़कर गांठ का रूप ले लेते हैं।
लक्षण
- एमसी की शुरुआत और अंतिम दिनों में तेज दर्द होना।
- पेट में नियमित अंतराल में दर्द रहना।
- पेशाब के दौरान तकलीफ महसूस होना।
- कमर में अक्सर दर्द रहना।