गैस का खेल: पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों फेल

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भविष्य का ईंधन प्राकृतिक गैस ही होगी| इससे से सभी सहमत होंगे साथ ही इससे भी कि कृष्णा-गोदावरी बेसिन में प्राकृतिक गैस का एक बड़ा भंडार है| अभी हालत यह है कि वहां से निकाली जा रही गैस के दामों में वृद्धि का विरोध होने के बाद भी सरकार सुप्त है और भाजपा न जाने क्यों चुप है ?  फायदा सिर्फ एक उद्योग घराने को मिल रहा है| सरकार ने इसके लिए जापान की दरों और पद्धति को आधार बनाया है , पर क्यों ?

प्राकृतिक संसाधन देश की संपदा माने जाते हैं, और सरकार उनकी संरक्षक| कृष्णा गोदवरी बेसिन में मौजूद प्राकृतिक गैस पर भी यही बात लागू होती है| मगर सरकार ने सरकारी क्षेत्र की तीन बड़ी कंपनियों [ओ एन जी सी,गेल,और ओ आई एल] को छोडकर एक नई नीति “नेल्प” बनाई और और गैस खोजने, विकास करने और बेचने का अधिकार रिलायंस को दे दिए|

अब रिलायंस को ८.४ डालर प्रति यूनिट गैस बेचने की मंजूरी है| जिसका सीधा प्रभाव प्रभाव एन टी पी सी के बिजली उत्पादन पर होगा और डालर में गैस खरीद कर बनाई गई बिजली उपभोक्ता को किस भाव पड़ेगी कोई कह नहीं सकता| जिन्हें कहना चाहिए था उस भाजपा के अगले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए अभी से मुकेश अम्बानी गुलदस्ता लिए खड़े है| इस देशघाती निर्णय पर सबकी चुप्पी एक प्रश्न चिन्ह है|


  • लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं।
  • संपर्क  9425022703
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