भोपाल। मध्यप्रदेश में डिंडोरी जिले के करंजिया गांव के स्वर्गीय रवनू सिंह मार्को के दो साल से लापता बेटे बुधराम की लाहौर जेल में बंद होने की खबर है।
बुधराम योगेश मार्को के नाम से जुलाई 2012 से पाकिस्तान की लाहौर सेंट्रल जेल में बंद है. पिछले महीने इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास से इस संबंध की जानकारी भारतीय गृह मंत्रालय के पास आई।
गृह मंत्रालय ने दूतावास से प्राप्त जानकारी के आधार पर जिले के एलआईयू (स्थानीय खुफिया विभाग) से संपर्क साधा तो विभाग ने करंजिया जाकर इसकी पड़ताल की. बुधराम के पाक जेल में होने की सूचना के बाद परिजनों का बुरा हाल है।
जानकारी के अनुसार पिछले साल बुधराम पंजाब सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंचा था, जहां उसे पाकिस्तानी रेंजर्स ने गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद स्थानीय अदालत ने उसे एक वर्ष की सजा और एक हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया. जुर्माना अदा न करने पर उसे तीन माह की और सजा भुगतनी पड़ेगी।
बुधराम ने वहां अपना नाम योगेश बताया लेकिन पिता का सही नाम यानी रवनू सिंह ही बताया. लिहाजा वह लाहौर जेल में इसी नाम से बंद है. बुधराम ने वहां अपने गांव-जिले और परिवार की भी सही जानकारी दी. केंद्रीय मंत्रालय से मिली इसी जानकारी और पाक से आई उसकी तस्वीर के आधार जिला खुफिया अधिकारियों ने करंजिया के सुहारिन टोला जाकर पड़ताल की तो परिजनों ने उसके फोटो से उसे पहचान लिया।
परिजनों ने बताया कि बुधराम की मानसिक हालत ठीक नहीं है और वह कभी भी घर छोड़कर भाग जाता था. एक बार परिजन उसे मनेंद्रगढ़ से वापस लाए थे तो एक बार अमरकंटक से. इसके बाद भी गाहे बगाहे उसके गायब होने का सिलसिला चलता रहा. लेकिन कुछ दिनों बाद ही वह वापस आ जाता था. हालांकि अंतिम बार अक्टूबर 2011 से गायब हुआ बुधराम वापस घर नहीं लौटा.
जैसे ही कुछ अधिकारी बुधराम के घर पहुंच उसकी फोटो दिखा पहचान कराने लगे तो परेशान परिजनों ने उसे तुरंत पहचान लिया लेकिन बताया कि उसका नाम योगेश नहीं बल्कि बुधराम है. परिजनों को जब बताया गया कि बुधराम पाकिस्तान की लाहौर जेल में बंद है तो वे और परेशान हो उठे.
दरअसल वे आसपास के गांव व शहरों के अलावा कभी कहीं नहीं गए थे उनके लिए पाकिस्तान तो बहुत दूर की बात है. लिहाजा भाई के पाकिस्तान में होने की सूचना के बाद उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. बुधराम के भाई रामकुमार मार्को का कहना है कि उन्होंने कभी प्रदेश की राजधानी भोपाल नहीं देखा पाकिस्तान तो दूर की बात है. अब उन्हें चिंता इस बात की है कि बुधराम वहां कैसे रहता होगा, उसके साथ किस तरह का बर्ताव होता होगा.
खास कर सरबजीत के साथ हुए बर्ताव के चलते बुधराम के पाकिस्तान में होने की सूचना मात्र से वे सदमें हैं. परिजनों के अलावा पड़ोस के लोग भी उसके सकुशल वापसी की दुआ मांग रहे हैं. हालांकि खेती किसानी का काम करने वाले बुधराम के परिजनों के लिए पाकिस्तान जाना और वहां से उसे वापस लाना मुमकिन नहीं है, लिहाजा अब उन्हें आस है तो सिर्फ सरकार से.