योग्य हों या अयोग्य, संविदा शिक्षकों के खाली पद तत्काल भरो: भारत सरकार के निर्देश

नई दिल्ली। शिक्षकों की नियुक्ति के लिए योग्य उम्मीदवारों की कमी से जूझ रहे 13 राज्यों को केंद्र सरकार ने कहा कि वे पूर्व में प्रदान की गई छूट के अनुरूप तय समय में शिक्षकों की भर्ती करें। वर्ना छूट की सीमा को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का कहना है कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत योग्य शिक्षक नहीं मिलने पर केंद्र सरकार कानून की धारा 23 की उपधारा-2 के तहत राज्यों को छूट दे सकती है।

लेकिन यह छूट सिर्फ एक बार दी जा सकती है। हाल में एक प्रेस कांफ्रेस में मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू ने भी बताया कि अब तक 13 राज्य इस किस्म की छूट ले चुके हैं। 2011 एवं 2012 के दौरान ऐसी छूट दी गई थी। आखिरी बार 17 अक्टूबर 2012 में उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश को इस प्रकार की छूट दी गई थी। उसके बाद किसी राज्य ने इस किस्म की छूट के लिए आवेदन नहीं किया था।

मंत्रालय के अनुसार राज्यों ने अपनी-अपनी जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग छूट मांगी थी जो उन्हें 31 मार्च 2014 और कुछ राज्यों को 31 मार्च 2015 के लिए प्रदान की गई है। इसके बाद छूट खत्म हो जाएगी। बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, असोम, मणिपुर, नगालैंड, मेघालय और त्रिपुरा की समस्या एक जैसी थी। इन राज्यों में डिग्रीधारी शिक्षकों की कमी थी। इसलिए इन राज्यों को पांचवीं कक्षा तक के लिए 12वीं पास और 6-8वीं कक्षा के लिए ग्रेजुएट उम्मीदवारों को बिना पेशेवर कोर्स के शिक्षक नियुक्त करने की इजाजत दी गई।

लेकिन ऐसे शिक्षकों को दो साल के भीतर पत्राचार के जरिये आवश्यक पेशेवर योग्यता हासिल करनी होगी।
यूपी की स्थितिः यहां प्राइमरी प्रशिक्षित शिक्षकों-डीएड की कमी है, जबकि बीएड डिग्रीधारी बड़े पैमाने पर हैं। लेकिन एनसीटीई के नियमों के अनुसार बीएड डिग्रीधारियों को प्राइमरी टीचर नियुक्त नहीं किया जा सकता। इसलिए यूपी ने विशेष रूप से उन्हें प्राइमरी शिक्षक नियुक्त करने की अनुमति मांगी थी जो अक्टूबर में उसे प्रदान कर दी गई। अन्य राज्य उत्तराखंड के लिए भी करीब-करीब यही स्थिति थी।

जबकि हिमाचल प्रदेश में बीएड की कमी है। उसने छह से आठवीं कक्षाओं के लिए हिन्दी एवं संस्कृत के गैर बीएड शिक्षक नियुक्त करने की अनुमति मांगी थी जो उसे प्रदान कर दी गई। क्या कहता है मंत्रालयमानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा कि 12वीं योजना में शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के विस्तार के लिए 6300 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इससे डिस्ट्रिक इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन एंड ट्रेनिग (डाइट), कालेज ऑफ टीचर एजुकेशन (सीटीई), इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज (आईएएसई) तथा ब्लाक इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन (बीआईटीई) की स्थापना की जाएगी।

साथ ही उपरोक्त श्रेणियों में खुले मौजूदा संस्थानों को भी अपग्रेड किया जाएगा। ताकि बेहतर शिक्षक तैयार किए जा सकें। स्कूलों में करीब पांच लाख अनट्रेंड टीचर हैं और लाखों शिक्षकों की भर्ती होनी है।

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