भोपाल। खुद शिवराज के पे रोल पर प्रदेशअध्यक्षी का आरोप झेल रहे कांतिलाल भूरिया ने जिलाध्यक्षों को फूलछाप कांग्रेसियों की तलाश का काम सौंपा है। कुल मिलाकर नम: शिवाय जप रहे कांग्रेसियों से एक बार फिर नेताओं का ध्यान हटाने की कोशिश की गई और जिलाध्यक्षों को मिसगाइड कर दिया गया।
राजनैतिक हलकों में खुला आरोप लगाया जा रहा है कि शिवराज को कांग्रेसियों के टारगेट से बचाने के लिए कांतिलाल भूरिया सिस्टमेटिक प्लानिंग के तहत काम करते हैं और ऐसे ऐसे निर्देश जारी करते हैं ताकि पूरा का पूरा संगठन नॉन प्रोडक्टिव जॉब में बिजी हो जाए। इस बार भी उन्होंने ऐसा ही किया। कांग्रेस में फूलछापों की कोई समस्या ही नहीं है। हर कांग्रेसी चाहता है कि सीएम कोई भी बने लेकिन सरकार कांग्रेस की बन जाए, और थोड़े बहुत गद्दार तो समाजसेवी संस्थाओं में भी मिल जाते हैं। बावजूद इसके भूरिया ने यह विषय उठा दिया। अब दो महीने तक इसकी चुगली, उसकी शिकायत होती रहेगी। कांग्रेस बढ़ेगी नहीं, थोड़ी सी घट जरूर जाएगी।
संगठन का सीधा सा सिद्धांत है, जब अवसर जोड़ने का हो तो तोड़ने का विचार भी नहीं लाना चाहिए। बफादार हो या गद्दार वोट जुटाएगा नहीं तो कम से कम अपना वोट तो डाल देगा। ऐसी बेवकूफिया कीं तो ना खुद डालेगा और ना दूसरों को डालने देगा। ऐसे मौकों पर रणनीति के साथ चलना होता है, लेकिन भूरिया भी रणनीति के साथ ही चल रहे हैं। शायद उनकी रणनीति ही यही है कि कैसे भी करके कांग्रेस में कलह को बरकरार रखा जाए ताकि सलामत रहे शिवराज का शासन।