अध्यापक आंदोलन: हम सरकार को अपने शोषण का लाइसेंस क्यों दे रहे हैं

अनिल नेमा/ मित्रों, पूर्व नियोजित तरीके से अध्यापकों को दो से चार हजार रूपये अधिकतम लाभ देने के उद्देश्य से कल सरकार की ओर से दो विरोधाभासी बयान का उद्देश्य अध्यापकों का डेमेज कंट्रोल के सिवाय कुछ नही।

राघव जी ने जो कहा सरकार उसकी प्रतिक्रिया जानना चाहती है जैसी प्रतिक्रिया वैसा सरकार का अगला कदम परंतु विडंबना ये है कि अध्यापक संगठनों के द्वारा राघव जी के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गई, होना तो यह था कि जब प्रदेश के मुखिया तीन माह से कह रहे है कि ‘‘छत्तीसगढ़ से बेहतर हो रहा है’ तो राघव जी ने जो कहा उसके विरोध में अध्यापको के विभिन्न संगठनों को ब्लाक स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक उनके वक्तव्य की भर्त्सना, उनके विभिन्न कार्यक्रमो में अध्यापको के द्वारा विरोध प्रदर्शन इत्यादि कार्यक्रम चाहिये।

परंतु दुख की बात है कि समस्त अध्यापक संगठन श्रेय लेने के चक्कर में सरकार की चाटुकारिता में लगे है तथा एक दूसरे को बधाई देकर शोषण की एक नई इबारत लिखने में अपनी सहमति दे रहे है।

किस्तों में वेतनमान सरकार के चाणक्य अफसरों की अध्यापकों को छलने की पालिसी के सिवा कुछ नहीं। सभी अध्यापकों को हजार, दो हजार का तात्कालिक लाभ देकर ‘‘समान कार्य -समान वेतन’’ व शिक्षा विभाग में संविलयन की मांग को बजट की दुहाई देकर सरकार सिरे से खारिज करना चाहती है ।

छत्तीसगढ़ मे हमारे साथियों को जो मिल गया उसके लिये हमें तीन-चार साल का इंतजार करना होगा। क्या यही छत्तीसगढ़ से बेहतर है।

प्रदेश के समस्त अध्यापक नेताओं से अनुरोध है कि श्रेय की राजनीति को छोड़कर ‘‘समान कार्य -समान वेतन’’, ‘‘शिक्षा विभाग में संविलयन’’ की मांग को पुरजोर से उठायें। सरकार से दो टूक बात करें यदि देना है तो छत्तीसगढ़ जैसा एक किस्तों में प्रदेश के समस्त अध्यापक एवं संविदा शिक्षकों को अन्यथा सत्रह साल से हम एक टाइम खाकर गुजरा कर रहे है ,व्यवस्था को कोसता हुये अनवरत् आगे बढ़ रहे हैं, सिर्फ दो-तीन माह का तो ओर इंतजार करना है क्योकि परिवर्तन सुखद व प्रकृति के अनुकूल ही होता है।

मित्रों जब एसीसी आंदोलन की रणनीति भोपाल में बना रही थी तो उनके आंदोलन को विफल करने के लिये छिन्दवाड़ा में मुख्यमंत्री जी ने गुरूपूर्णिमा की तारीख दी जब अखबार में आया कि संयुक्त मोर्चा के द्वारा एक जुलाई से स्कूल में तालाबंदी का कार्यक्रम होना है इसकी भनक लगते ही झाबुआ में माननीय महोदय ने किस्तों में वेतन मान की घोषणा की।

मित्रों एक बार फिर वही बात ‘‘सुन्दर सृष्टि बलिदान खोजती है अभी सिर्फ हमारी दो माह की पगार ही कटी है ,एकबार फिर आंदोलन की रूपरेखा तैयार हो, कई दधीचि के बलिदान से छत्तीसगढ़ में विजयश्री प्राप्त हुई है। अब हमारी बारी है नींव की ईट हम बनने को तैयार है।

अन्यथा 5000 रूपये की चार किस्त = 1250 + 1250 + 1250+ 1250

आवाज दो हम एक है ।

अनिल नेमा
आम अध्यापक
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