राजधानी में अब गायें भी बनेंगी सरोगेट मदर

भोपाल। राजधानी में अब गाय की नस्ल भी सेरोगेसी तकनीक के सहारे सुधारी जाएगी। इस तकनीक से पूरे जीवन में अधिकतम 10 बछड़े पैदा करने वाली अच्छी नस्ल की गाय से कुल 60 बछिया/बछड़े पैदा किए जा सकेंगे। इसके लिए मप्र राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम ने स्टेट एनीमल सेरोगेसी लैब बनाई है।
लैब में देशी प्रजाति की गायों की अच्छी नस्ल वाले भ्रूण बनाकर, सामान्य गायों के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किए जाएंगे। इससे गाय से अच्छी नस्ल की बछिया और बछड़े पैदा हो सकेंगे।

निगम के प्रबंध संचालक डॉ. एचबीएस भदौरिया ने बताया कि लैब में गिर और साहीवाल गाय की नस्ल सेरोगेसी तकनीक से सुधारी जाएगी। इसके लिए लैब में सांड (बुल) और गाय के स्पर्म और ओवम अलग-अलग लिए जाएंगे। बाद में स्वस्थ गाय के  गर्भाशय में इन विवो तकनीक से फर्टिलाइजेशन कराया जाएगा। इस प्रक्रिया में बने भ्रूणों को स्वस्थ गाय के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाएगा।

डॉ. भदौरिया ने बताया कि अभी गिर नस्ल की गाय एक साल में अधिकतम 3 हजार लीटर दूध देती है। ब्राजील में यही गाय 12 से 14 हजार लीटर दूध एक साल में देती है। ब्राजील सरकार ने गिर गाय की नस्ल में सुधार बेबो तकनीक से ही किया है।

दुधारू पशु ज्यादा, दूध उत्पादन कम

डॉ. भदौरिया ने बताया कि देश में दुधारू जानवरों की संख्या में मध्यप्रदेश का स्थान दूसरा है। राज्य में 2 करोड़ 19 लाख गाय और 91 लाख भैंस हैं। इनमें से सिर्फ 1 करोड़ 21 लाख गाय ही प्रजनन के काबिल हैं। बावजूद इसके प्रदेश की विभिन्न डेयरियों तक रोजाना 8 लाख लीटर दूध ही पहुंच रहा है। इस वजह से दूध उत्पादन में प्रदेश का स्थान सातवां है।

छह डॉक्टरों ने ली ट्रेनिंग

सेरोगेसी तकनीक से गिर, साहीवाल नस्ल की गाय के भ्रूण तैयार करने और प्रत्यारोपित करने की ट्रेनिंग दिलाई गई है। लैब में दो डॉक्टर ही सेरोगेसी पद्धति से गाय की नस्ल सुधारने लैब में सांड का स्पर्म और गाय का ओवम संग्रहित कर, भ्रूण विकसित करने का काम करेंगे, जबकि चार अन्य डॉक्टर लैब स्थित ट्रेनिंग सेंटर में प्रदेश के विभिन्न जिलों में पदस्थ पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षण देंगे।


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