लालसिंह आर्य। हाल ही में हुआ कांग्रेस का संगठनात्मक फेरबदल एक 'टोटका' है लेकिन इससे कांग्रेस जनता की अदालत में अपनी 9 वर्षों की निष्क्रियता से मुक्त नहीं हो सकती है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस में बढ़ती गुटबाजी और कार्यकर्ताओं के अभाव के कारण कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी की छुट्टी कर दी गयी। हरिप्रसाद ने कांग्रेस की गुटबाजी को कम करने के बजाए उसे और बढ़ाया है। जिसके कारण उनका प्रभार छीन लिया गया।
पिछले 9 वर्षो से केन्द्र की कांग्रेसनीत यूपीए सरकार मध्यप्रदेश के साथ राजनैतिक प्रतिशोध के आधार पर कार्य कर रही है। मध्यप्रदेश के साथ केन्द्र के सौतेले व्यवहार के कारण मध्यप्रदेश के सवा सात करोड़ लोगों के हित बाधक हुए है। कांग्रेस के संगठन और कांग्रेस के सत्ता में प्रतिनिधित्व करने वालों ने प्रदेश के साथ भेदभाव को लेकर कभी मध्यप्रदेश के हित में बात नहीं की। उल्टे मध्यप्रदेश के हितों को आघात पहुंचाया है।
ऐन चुनाव के मौके पर मध्यप्रदेश में कांग्रेस का संगठनात्मक बदलाव और सत्ता में भागीदारी सिर्फ कांग्रेस की राजनैतिक फितरत है इससे जनता का कोई भला होने वाला नहीं है। कांग्रेस का जो नेतृत्व 9 वर्षों में मध्यप्रदेश का हित नहीं कर सका। पांच माह में किसी करिश्मा की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
कांग्रेस ने प्रदेश प्रभारी के रूप में बदलाव करके सिर्फ कांग्रेस की इलाकाई दावेदारी का सबूत दिया है। राजनेताओं की पसंदगी और ना पंसदगी से मोहरे तय किए जाने से प्रदेश में कांग्रेस की तस्वीर और तकदीर बदलने वाली नहीं है और न इससे प्रदेश और कांग्रेस का हित होने वाला है।
कांग्रेस प्रदेश में विपक्षी दल है। उसे प्रदेश के हित में अपनी जवाबदेही का सबूत देकर पार्टी की गरिमा स्थापित करना चाहिए। जिसमें कांग्रेस सर्वथा विफल साबित हुई है। कांग्रेस संगठन में मची उठापठक सिर्फ कांग्रेस की सत्ता लोलुपता और कांग्रेस की कबीलाई संस्कृति का परिचायक बना है। फेरबदल कांग्रेस की कुंठागत हडबडी का नतीजा है।
- लेखक श्री लालसिंह आर्य भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री और अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश प्रभारी हैं