भोपाल। मध्यप्रदेश में अब प्लास्टिक बोतलों में शराब बिकने का रास्ता साफ हो गया है। उच्च न्यायालय ने प्लास्टिक की बोतलों में शराब बिकने से होने वाले नुकसान पर कोई ठोस साक्ष्य एवं प्रमाण पेश नहीं किए जाने पर संबंधित याचिका खारिज कर दी है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के. के. लाहोटी और सुभाष काकड़े की पीठ ने सुरक्षित रखे गए अपने फैसले को कल सार्वजनिक करते हुए आवेदक को स्वतंत्रता दी है कि वह चाहे तो केन्द्र सरकार के समक्ष अभ्यावेदन दे सकता है.
पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि प्लास्टिक की बोतलों में शराब लीचिंग होती है, इसका कोई ठोस साक्ष्य नहीं है . इसके साथ ही आईएसआई की ओर से प्लास्टिक की बोतलों में शराब स्टोर किये जाने की अनुमति दी गई है.
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि आवेदक ऐसा कोई प्रमाण पेश नहीं कर पाया जिससे यह साबित हो सके कि प्लास्टिक की बोतलों में शराब बेचने से मनुष्य के स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान हो रहा हो.
नरसिंहपुर जिले की प्राणी मित्र समिति के सचिव डॉ. विनय पटेल की ओर से दायर जनहित याचिका में वर्ष 2012..13 के लिये बनाई गई आबकारी नीति में आधी शराब कांच की बोतलों और आधी शराब प्लास्टिक के पाउचों में बेचने के प्रावधान को चुनौती दी गई थी.
उक्त प्रावधान को मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के खिलाफ बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगाए जाने का आग्रह किया गया था . इस मामले में मध्यप्रदेश सरकार के वाणिज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव, आबकारी आयुक्त और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अध्यक्ष को पक्षकार बनाया गया था.
उच्च न्यायालय ने गत 10 अप्रैल को अंतरिम आदेश के तहत प्लास्टिक की बोतलों और पाउचों में शराब विक्र य किये जाने पर रोक लगा दी थी. इस पर शराब निर्माताओं तथा डिस्टलरी कंपनियों की ओर से उक्त रोक हटाए जाने के लिए अर्जी दायर की गई थी.
मामले में पिछले सप्ताह बहस के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. वहीं मामले में डिस्टलरी कंपनियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने अन्य उच्च न्यायालयों के आदेशों का हवाला देते हुए तर्क दिया था कि इस तरह के मामले पूर्व में खारिज हो चुके हैं.