राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारतीय जनता पार्टी में एक बयान ने उथल पुथल मचा दी है, इस उथल पुथल से सबसे पहले सुरक्षित निकलने का निर्णय नितिन गडकरी ने लिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि भाजपा ने जिस प्रचार अभियान टीम की अगुवाई उन्हें सौंपी है, वे उस टीम का नेतृत्व करने को राज़ी नहीं है।
गडकरी भारतीय जनता पार्टी को किसी मुगालते में नहीं रखना चाहते हैं। उनके निकटतम सूत्रों का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष राजनाथसिंह और पार्टी के भीष्म पितामह कहे जानेवाले लालकृष्ण आडवाणी की विचार श्रंखला एक दम उत्तर दक्षिण है, ऐसे भी कोई भी योजना बनाना मुश्किल है और इस बार पार्टी के सामने चुनौतियाँ भी ज्यादा हैं।
नितिन गडकरी की अध्यक्षीय कार्यालय से विदाई की पृष्ठभूमि ने भी नितिन गडकरी का मन खट्टा कर रखा है, वे और उनके नजदीकी लोग पार्टी के उस नेता का नाम जानते हैं, जिसने आयकर विभाग को "पूर्ति" की सूचनाओं की आपूर्ति की थी। कुछ मजबूरियां है जिस कारण जानते हुए भी संघ, भाजपा संगठन और नितिन गडकरी अर्थात सब चुप है। इसी कारण वे पहले ही कोई दायित्व लेने से बच रहे थे अब साफ मना कर रहे हैं।
वैसे यह निर्णय भारतीय जनता पार्टी और नितिन गडकरी दोनों के लिए ही ठीक है। भाजपा और उसके बाहर मौजूद नितिन जी के मित्र पूरे प्रचार अभियान को "पूर्ति" की तरफ मोड़ देते, तो भाजपा का प्रचार तो दूर सफाई देने में ही पूरा अभियान निबट जाता। पार्टी हित में इतना सोचने वाले अब है कहाँ ?