भोपाल। मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह के 10 साल पुरानी सरकार को उखाड़ने और दिग्विजय सिंह को राजनैतिक वनवास तक पहुंचाने वाली उमा भारती की मध्यप्रदेश से बेदखली की सार्वजनिक घोषणा ग्वालियर में हुई कार्यसमिति की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह द्वारा कर दी गई।
उमा भारती का शिवराज सिंह से खट्टा रिश्ता तो किसी से छिपा नहीं था। मध्यप्रदेश के ही कई अन्य नेता भी उमा भारती की मध्यप्रदेश में सक्रियता कतई देखना नहीं चाहते थे परंतु पिछले दिनों अचानक उमा भारती का कद उस समय बढ़ गया था जब उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया।
इसके बाद उन्हें ससम्मान भाजपा कार्यालय में आमंत्रित किया गया। स्वागत सत्कार किया गया। प्रभात झा और उमा भारती को मिले इस महत्व के बाद माना जा रहा था कि मध्यप्रदेश में शिवराज विरोधी गुट को भी ताकत दी जा रही है, लेकिन ग्वालियर में हुई कार्यसमिति में एक बार फिर सारा का सारा सीन ही बदल गया।
वो उमा भारती जिन्होंने पिछले दिनों उज्जैन में मध्यप्रदेश से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी, कार्यसमिति में आमंत्रित तक नहीं किया गया और इसी के साथ सार्वजनिक रूप से यह संदेश दे दिया गया कि उमा भारती का मध्यप्रदेश से कोई रिश्ता नहीं है और ना ही उन्हें मध्यप्रदेश की राजनीति में दखल देने की अनुमति दी गई है।
हद तो तब हो गई जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री रहे भाजपा के तमाम नेताओं के नाम लिए, यहां तक कि मात्र 6 महीने के लिए सीएम बने बाबूलाल गौर की भी तारीफ की गई वहीं 10 साल से जमी कांग्रेस सरकार को उखाड़ फैंकने वाली उमा भारती के कीर्तिमान का जिक्र तो दूर, नाम तक नहीं लिया गया।
राजनाथ सिंह के संबोधन में उमा भारती से परहेज ने स्पष्ट कर दिया कि उमा भारती को मध्यप्रदेश से बेदखल कर दिया गया है और अब उनके पुनर्स्थापित होने की फिलहाल तो कोई संभावना नहीं है।