राकेश दुबे@प्रतिदिन। और भारतीय जनता पार्टी की कार्यकारिणी में यह मुद्दा कोई उठाये, उसके पहले ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने हथियार डाल दिए। उन्होंने प्रमाणित कर दिया कि आडवाणी जी ने ग्वालियर में जो कुछ वह तर्क और न्यायिक सिद्धांत से नहीं कहा बल्कि मोहवश ऐसी बात कही होगी।
शिवराज सिंह ने सफाई दी है कि उनका नम्बर तीसरा पहले पर मोदी और दूसरे पर रमन सिंह है, और दोनों उनसे वरिष्ठ भी हैं।
इस सारे प्रहसन का कारण कुछ और नहीं प्रशिक्षण है, मुख्यमंत्रियों की पंक्ति के अग्रेसर नरेंद्र मोदी ही है, यहाँ शिवराज सिंह ठीक हैं। आडवाणी जी हमेशा मंच पर से देखते हैं, पता नहीं क्यों वे अग्रेसर की अनदेखी कर देते हैं, आयु के कारण दूरदृष्टि दोष होता है, लेकिन राजनीति में निकट दृष्टि की बीमारी ज्यादा होती है। सही बात क्या है, यह तो गुजरात के लोग ही बता सकते हैं, आडवाणी जी वहां पहले भी नेत्र परीक्षण कराते थे, अब आँखे दिखाते हैं। यह गुजरात का अंदरूनी मामला है।
सही मायने में भाजपा के मुख्यमंत्री एक पंक्ति में खड़े ही नहीं है, वे तो वर्तुल में खड़े है आगे से देखे तो दो आगे पीछे से देखें तो दो पीछे। वर्तुल में खड़े होने के कारण सबको सबका आगा-पीछा दिखाई दे रहा है। गलती कोई भी करे, सुधार की मांग जोर पकडती इसके पहले सुधार हो गया, यही भले घर की रीत भी है।
