केबीनेट का फैसला: कर्मचारी की मौत के बाद उसकी नाबालिग संतान को मिलती रहगी सैलेरी

भोपाल। मध्यप्रदेश की केबीनेट में एक एतिहासिक फैसला लेते हुए तय किया है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी एवं उसकी पत्नि की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो उसके बाद भी उनकी संतान को यदि वो अनुकंपा नियुक्ति के योग्य नहीं है तो, 5 साल से वेतन दिया जाएगा। इस तरह के प्रावधान लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है।

निर्णय के अनुसार, सेवा में रहते हुए एक ही दुर्घटना अथवा उसके फलस्वरूप किसी शासकीय सेवक और उसके पति/पत्नी की मृत्यु हो जाने और उनका एक या एक से अधिक आश्रित सदस्य 21 वर्ष से कम आयु का होने की स्थिति में उसे 5 वर्ष तक दिवंगत शासकीय सेवक की अधिवार्षिकी आयु पर सेवानिवृत्ति दिनांक से अप्रभावित रहते हुए शासकीय सेवक को दिये जाने वाले अंतिम आहरित वेतन में से पेंशन की राशि घटाकर वेतन दिया जायेगा।

यदि शासकीय सेवक की पत्नी/पति की मृत्यु पहले ही हो चुकी हो तो शासकीय सेवक की मृत्यु होने के दिनांक से यह प्रावधान लागू होगा। प्रकरणों में आश्रित सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता इन नियमों के तहत बनी रहेगी, जो उसके आवेदन प्रस्तुत करने पर दी जा सकेगी। आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति अथवा अन्य रोजगार प्राप्त होने पर उपरोक्त सुविधा समाप्त हो जायेगी और नियमानुसार परिवार पेंशन की पात्रता यथावत रहेगी।

अनुकंपा नियुक्ति संबंधी यह प्रावधान राज्य शासन के अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ अखिल भारतीय सेवाओं के मध्यप्रदेश केडर के अधिकारियों पर भी लागू होगा। यह प्रावधान एक जून 2013 से प्रभावशील होगा।
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