राकेश दुबे@प्रतिदिन। बिहार के आरा जिले के श्री संतोष अमरनाथ यात्रा पर है, जैसा उन्होंने फोन पर बताया कि जगह-जगह लंगर लगाने वाले दुखी है और इस कारण वे भी दुखी है| किसी अपरिचित का फोन और उत्तराखंड के दुःख के बाद कोई और दुःख की खबर बने इससे पहले तफसील जानना जरूरी समझा|
बहुत गुस्से से बोले आप भी नितीश कुमार की तरह बात कर रहे है “हम तीर्थयात्री यात्री है,इसलिए कुछ नहीं मिलेगा| हज पर जाते तो बहुत कुछ मिलता”| बिहार में कोई छोटा-मोटा धंधा करते है,पर अमरनाथ जी हर साल जाते हैं|
उनके गुस्से के ढेरों पहलू है| मुझे जिस पहलू ने अपील किया वो हर उस आदमी को अपील करेगा जो “परमार्थ” को सही अर्थों में समझते हैं| हुआ यह है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान नहाने के गर्म पानी से लेकर चौबीस घंटे गर्म खाने की व्यवस्था समाजसेवी करते हैं वह भी निशुल्क, और यह संतोष जी जैसे यात्री और खच्चर वाले मोहम्मद सभी के लिए है| जम्मू कश्मीर सरकार ने इन सेवाकारी संस्थानों को जलाऊ लकड़ी ,गैस ,खाने के सामान और तो और दवाईयों तक पर मिलने वाला अनुदान समाप्त कर दिया है|
अन्य राज्यों से जाने वाले यात्री सहिष्णु है, ज्यादा संख्या में होने पर भी चुप है| संतोष जी का बिहारी खून खौल उठा और फुनिया दिया मुख्यमंत्री को, वहाँ से सूचना मिली “हज यात्रियों को अनुदान की पात्रता है, तीर्थ यात्रियों के लिए नहीं| यहाँ किसी तीर्थयात्री ने अनुदान नहीं माँगा था, मुख्यमंत्री से परमार्थ के लिए चल रहे लंगरों के साथ हुई सरकारी करतूत पर मदद चाही गई थी | यहाँ संतोष जी गलत है. जो नेता “टोपी” को “सेक्युलर” या “कम्युनल” मानते हो परमार्थ को समझने में उन्हें एक जन्म और लेना पड़ेगा|