उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। जुगाड़ की राजनीति के माहिर खिलाड़ी कांतिलाल भूरिया इन दिनों मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं परंतु उनमें वो धार कतई दिखाई नहीं देती जो एक विपक्षी पार्टी के नेता में होनी चाहिए। ऐसा लगता है जैसे एक एक बयान जारी करने से पहले वो अप्रूवल के लिए दिल्ली भेजते हैं।
अब देखिए ना, गोवा में गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के नवनियुक्त चुनाव प्रचार अभियान समिति के चेयरमैन नरेन्द्र भाई मोदी ने दिनांक 9 जून 2013 को 'कांग्रेस मुक्त भारत' का नारा दिया और अपने भूरियाजी ने इस पर प्रतिक्रिया जताई है दिनांक 12 जून 2013 को। चाहते हैं प्रमुख स्थान मिले। जो काम 9 जून को ही हो जाना चाहिए था वो 12 जून को हो रहा है। इससे पहले भी अक्सर यही देखने को मिला है। मजेदार बात तो यह है कि छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले पर भी भूरिया की तत्काल प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई थी। दूसरे दिन जारी की गई।
अपनेराम का अंदाजा तो यही है कि कांतिलाल जी, कदम फूंक फूंककर रख रहे हैं और शायद इसीलिए कोई भी बयान जारी करने से पहले दिल्ली रवाना कर देते हैं और अप्रूवल मिलने के बाद ही जारी करते हैं ताकि जो मिल गया है उसे किसी बहाने से कोई छीन ना ले जाए। रिस्क विस्क के मूड में नहीं रहते नेताजी।
जो भी हो लेकिन यह सबकुछ कांग्रेस के लिए बहुत घातक है। ऐसे में कांग्रेस यदि नौ दिन चली अढ़ाई कोस तो विधानसभा चुनाव तक राजधानी के आउटर तक भी कतई नहीं पहुंचने वाली।
समझ नहीं आ रहा जब जरूरत है धार की तो शीतल धारा क्यों बहा रहे हैं कांतिलाल। कहीं शिवराज सिंह के साथ कहीं कोई अपवित्र गठबंधन तो नहीं...!