राकेश दुबे@प्रतिदिन। और लालकृष्ण आडवानी ने इस्तीफा दिया और वह सब लिखा जो के एन गोविन्दचार्य बहुत पहले से कहते आ रहे हैं। गोविन्दाचार्य ने कई बार कहा है और आडवानी से भी कहा है कि भाजपा अपने सिद्धांतों पर नहीं चल रही है।
तब अडवाणी का मौन और अब यह चिठ्ठी पत्री गोविन्दाचार्य की उस बात का समर्थक है कि पार्टी में कुछ लोग दल से बडा अपने को मानने लगे थे और अब ऐसे लोगों की संख्या और बढ़ गई है । काश! आडवानी तब कुछ करते करते तो आज दुखी नहीं होते।
अब चाहे वे मान जाएँ और इस्तीफा वापिस लेलें ,परन्तु उन्होंने ऐसा बहुत कुछ लिख दिया है, जिसका परिणाम भारतीय जनता पार्टी को वर्षों तक भोगना होगा। आज भारतीय जनता पार्टी की इस दुर्दशा से वह आम आदमी दुखी है, जो भारतीय जनता पार्टी में एक राष्ट्र भक्त पार्टी की छवि देखता था। वह छवि अब विलीन हो गई है और आडवानी ने प्रमाणपत्र दे दिया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सर संघचालक कहा करते थे कि "गाजर की पुंगी बनाई है, बजी तो ठीक नहीं तो तोडकर खा लेंगे, और दूसरी बना लेंगे।" वक्त दूसरी पार्टी बनाने का आ गया है। इसे कौन बनाएगा, अभी नेपथ्य में है।