राजेश शुक्ला। अनूपपुर। विगत दिनों राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में आयोजित दीक्षांत समारोह में स्थानीय आदिवासी सांसद एवं मंत्री को स्थान नहीं दिया गया। अब इस मामले में तूल पकड़ लिया है और इसे आदिवासियों का अपमान बताया जा रहा है।
7 जून को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, राज्यपाल रामनरेश यादव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य गणमान्य नागरिकों, अधिकारियों, पत्रकारों, छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में हुये प्रथम दीक्षांत समारोह का समापन सुखद नहीं रहा और अब आयोजकों पर शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद श्रीमती राजेश नंदिनी सिंह एवं मध्यप्रदेश शासन के श्रम मंत्री जगन्नाथ सिंह की खुली उपेक्षा का आरोप लग रहा है।
मामला इतना गंभीर हो चुका है कि लोगों ने इसकी शिकायत यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से करने की चेतावनी दी है। जनजातीय विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह के आमंत्रण पत्र में क्षेत्र के किसी भी जनजातीय समाज के निर्वाचित जनप्रतिनिधि यथा सांसद राजेश नंदिनी सिंह, श्रम मंत्री जगन्नाथ सिंह, पुष्पराजगढ़ विधायक सुदामा सिंह सिंग्राम का विशिष्ट अतिथियों के रूप में ना तो कहीं जिक्र था और ना ही इन्हें मंच पर आमंत्रित किया गया।
इससे उक्त जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ इनके समर्थकों में जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सीडी सिंह के प्रति काफी आक्रोश देखा गया है। मामले का सर्वाधिक चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि मंच पर आसीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी सहित किसी भी व्यक्ति ने इस ओर ध्यान देना आवश्यक नहीं समझा।
प्रो. सीडी सिंह के विरूद्ध चले महाभियोग- नाराज सांसद श्रीमती राजेश नंदिनी सिंह ने पत्रकारों से अनौपचारिक वार्ता करते हुये कहा कि कुलपति को यह अवगत था कि यदि सांसद को मंच पर बोलने का मौका दिया जायेगा तो वे उनके भ्रष्टाचार का मामला राष्ट्रपति और कुलाधिपति के समक्ष अवश्य उठायेंगी। मुझे जनजातीय समाज की उपेक्षा कदापि बर्दास्त नहीं है।
प्रो. सीडी सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुये उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रबंधन पर छात्र-छात्राओं द्वारा आये दिन जनजातीय संस्कृति का अपमान करने का आरोप लगाया जाता रहा है। कुलपति स्वत: कई प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुये हैं। यहां तक कि जनजातीय सांसद एवं विधायक को आमंत्रण पत्र देने के लिये एक सामान्य कर्मचारी को भेजकर दायित्वों को पूरा मान लिया गया।
कार्यकाल बढ़वाना है मुख्य उद्देश्य
उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति को दीक्षांत समारोह में इसलिये आमंत्रित किया गया ताकि अपना प्रभाव बढ़ाकर अपना कार्यकाल विस्तारित करवा सकें। कुलपति का कार्यकाल जुलाई माह में समाप्त हो रहा है, इससे ठीक पूर्व आयोजित हुये दीक्षांत समारोह में अपने उद्बोधन में उनके द्वारा बजट की जानकारी क्यों नहीं दी गई? भर्तियों में उ.प्र. के लोगों को महत्व देने, जनजातीय समाज के लोगों को कम अवसर देने जैसे कई आरोप लगाये गये हैं।
हो सख्त कार्यवाही
नाराज सांसद ने जनजातियों की उपेक्षा के मुद्दे एवं कुलपति द्वारा किये गये भ्रष्टाचार के मामले को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के समक्ष उठाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि ऐसे कुलपति के विरूद्ध महाभियोग की कार्यवाही होनी चाहिए।
आये दिन छात्र करते हैं आंदोलन
जनजातीय विश्वविद्यालय में जनजातीय समाज के छात्र-छात्राओं द्वारा आये दिन प्रबंधन के विरूद्ध आंदोलन, धरना प्रदर्शन होता रहा है। छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रपति के आगमन से पूर्व जिला प्रशासन सहित अन्य मंचों पर प्रबंधन पर जनजातीय संस्कृति के खिलाफ कार्य करने का आरोप लगाते हुये सामूहिक प्राणोंत्सर्ग करने की चेतावनी भी दी गई थी। कुलपति के आचरण से क्षेत्रीय विधायक सुदामा सिंह सिंग्राम इतने आक्रोशित हो उठे थे कि उन्होंने विश्वविद्यालय मार्ग पर प्रदर्शन तक किया था। वहीं विश्वविद्यालय में कार्यरत डॉ. दशमंत दास पटेल ने कुलपति पर अपने सगे दामाद डॉ. विमलेश सिंह एवं नजदीकी संबंधी डॉ. रेखा गुप्ता के चयन का आरोप लगाया है।
नहीं हो सका कुलपति से संपर्क
सांसद की नाराजगी एवं आरोपों पर कुलपति प्रो. सीडी सिंह का मन्तव्य जानने के लिये उनके मोबाईल नंबर ९४२५१८५०५७ पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने घंटी बजने पर भी फोन उठाना आवश्यक नहीं समझा, इसलिये उनसे संपर्क नहीं किया जा सका।