मध्यप्रदेश की नई जनसंख्या 7.26 करोड़

भोपाल। मप्र की जनसंख्या ब्राजील के बराबर हो गई है। बीते 10 सालों में प्रदेश की जनसंख्या में लगातार इजाफा हुआ। अब यह आंकड़ा 7 करोड़ 26 लाख हो गया है। वर्ष 2001 से अब तक प्रदेश में 1 करोड़ 13 लोग बढ़े हैं। जनगणना निदेशालय ने सोमवार को जनसंख्या के अंतिम आंकड़े सार्वजनिक किए।

शहरी जनसंख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी इंदौर में हुई है। जनसंख्या के अंतिम आंकड़े जारी करते हुए जनगणना निदेशालय के डायरेक्टर सचिन सिन्हा ने कहा, इंदौर में 12.1 प्रतिशत वृद्धि के साथ जनसंख्या 2,427,709 करोड़ हो गई है। भोपाल में 9.6 प्रतिशत के हिसाब से जनसंख्या 1,917051 करोड़ पहुंच गई है। जबलपुर में 7.2 फीसदी आबादी बढ़ी है। रीवा जिले में ग्रामीण आबादी 1.97 फीसदी पहुंच गई है, जो प्रदेश में बढ़ी ग्रामीण आबादी का 3.7 प्रतिशत है।

ग्वालियर की कुल जनसंख्या 20.3 लाख के पार दर्ज है। वहीं शहरी आबादी 1,273,792 हो गई है। श्री सिन्हा ने बताया, एक मार्च 2011 को देश की जनसंख्या 1210.6 करोड़ थी। इसी दिन मध्यप्रदेश में 72.6 मिलियन आबादी दर्ज की गई। मप्र की जनसंख्या विश्व के 16 देशों को छोड़ दे तो अन्य देशों के आसपास है या उनसे ज्यादा है। उन्होंने कहा, ऐसा पहली बार हो रहा है जब जनगणना आंकड़े मात्र 2 साल के अंतराल में जारी किए गए।

ऐसा इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के बढऩे से भी हुआ। पहली बार 1872 में भारत की जनगणना शुरू हुई थी। स्वतंत्रता के बाद 7वीं बार जनगणना पूरी कर आंकड़े जारी किए गए हैं।

ये है भोपाल की स्थिति
राजधानी में बीते 10 सालों में जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। इसका प्रमुख कारण यहां की जलवायु, रोजगार और कानून व्यवस्था बताई जा रही है। राजधानी में बीते 10 सालों में 80.9 प्रतिशत जनसंख्या बढ़ी है। एक दशक में जनसंख्या घनत्व में 40 अंकों की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2001 में यह घनत्व 196 था, जो वर्ष 2011 की जनगणना में 236 हो गया है। भोपाल की कुल जनसंख्या 23,71,061 दर्ज की गई है। इसमें ग्रामीण 454010 और शहरी आबादी 1917051 हो गई है।

भोपाल का दायरा बढ़ा
भोपाल का दायरा बढ़ा है, जिसके चलते नए मकानों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। महिलाओं संख्या 1134931 व पुरुषों की आबादी 1,236,130 हो गई है। इस हिसाब से प्रति 1000 पुरुषों पर 895 महिलाएं हैं। वहीं 6 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या 3,04,713 दर्ज की गई है।

प्रदेश में काम करने वाले 31.6 लाख
आंकड़ों के हिसाब से महिला-पुरुष का अनुपात वर्ष 2001 की अपेक्षा वर्ष 2001 में 12 प्रतिशत नीचे आया है। वर्ष 2001 में यह 931 था जो वर्ष 2011 में 919 तक पहुंच गया है। इस मौके पर एक दशक के तुलनात्मक आंकड़े जारी करते हुए यह भी बताया गया कि प्रदेश में कुल 31.6 लाख लोग कामकाज से जुड़े हुए हैं। महिलाओं का प्रतिशत कम होने पर एमएन बुच ने चिंता भी जाहिर की। यह आंकड़े प्रशासन अकादमी में जारी किए गए। यहां श्री बुच बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। साथ ही अन्य अतिथियों में सचिव गृह सीमा शर्मा, यूनिसेफ के प्रोग्राम मैनेजर मनीष माथुर शामिल थे। इस दौरान बताया गया कि पहली बार आदिवासी क्षेत्रों की जनसंख्या का भी तुलनात्मक अध्ययन किया गया। अनुसूचित जाति 48 व अनुसूचित जनजाति का प्रतिशत 43 है।

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