धार में बनेगा डायनासोर पार्क: देख सकेंगे 6 करोड़ साल पुराना जुरासिक खजाना

भोपाल। मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी में बिखरे कम से कम छह करोड़ साल पुराने 'जुरासिक खजाने' को आने वाली पीढ़ियों की खातिर सहेजने के लिये नजदीकी धार जिले में राष्ट्रीय डायनोसोर जीवाश्म उद्यान विकसित करने का रास्ता साफ हो गया है. यह अहम परियोजना धन आवंटन के अभाव के चलते लम्बे वक्त से फाइलों में उलझी थी।

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आदिवासी बहुल धार जिले के पाडल्या क्षेत्र में करीब 89 हेक्टेयर पर राष्ट्रीय डायनोसोर जीवाश्म उद्यान विकसित करने के लिये प्रदेश सरकार ने पहले चरण में 77 लाख रुपये आवंटित किये हैं।

इस परियोजना को लेकर गजट अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है. उन्होंने बताया कि यहां से कोई 150 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय डायनोसोर जीवाश्म उद्यान को विकसित करने में करीब तीन करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आयेगी और इसमें कम से कम तीन साल लगेंगे।

वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस उद्यान की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का काम किसी विशेषज्ञ संस्था को सौंपा जायेगा. इस परियोजना में लखनऊ के प्रतिष्ठित बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान की भी मदद ली जायेगी.

उन्‍होंने बताया कि राष्ट्रीय डायनोसोर जीवाश्म उद्यान में विशेष केंद्र स्थापित किया जायेगा. इस केंद्र में दृश्य-श्रव्य कार्यक्रमों के जरिये दर्शकों को डायनोसोर के इतिहास से रू-ब-रू कराया जायेगा. इस उद्यान में डायनोसोरों की विशाल प्रतिकृतियां भी लगायी जायेंगी. वन विभाग के आला अफसर ने बताया कि नर्मदा घाटी में अलग-अलग स्थानों पर बिखरे डायनोसोर जीवाश्मों को राष्ट्रीय डायनोसोर जीवाश्म उद्यान में जमा किया जायेगा.

इसके साथ ही, इन दुर्लभ जीवाश्मों का दस्तावेजीकरण भी किया जायेगा. शैकिया खोजकर्ता संगठन 'मंगल पंचायतन परिषद' ने धार जिले में वर्ष 2007 के दौरान पहली बार बड़ी संख्या में डायनोसोर के अंडों के दुर्लभ जीवाश्म ढूंढ़ निकाले थे. इसके बाद यह जगह अचानक दुनिया की निगाहों में आ गयी थी. संगठन के प्रमुख खोजकर्ता विशाल वर्मा ने कहा, 'गुजरे अरसे में धार जिले से डायनोसोर के जीवाश्मों की तस्करी की खबरें भी मिलती रही हैं. राष्ट्रीय डायनोसोर जीवाश्म उद्यान के बन जाने से इन अनमोल जीवाश्मों को बचाया जा सकेगा. इसके साथ ही, उन स्थलों को भी संरक्षित किया जा सकेगा, जहां डायनोसोर कभी अपना वंश बढ़ाने आते थे.'

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय डायनोसोर जीवाश्म उद्यान के जरिये वैज्ञानिकों के साथ-साथ आम दर्शकों को डायनोसोरों और उनके करोड़ों साल पुराने प्राकृतिक इतिहास के बारे में करीब से जानने का मौका मिल सकेगा. बहरहाल, आज यकीन करना बेहद मुश्किल है कि वर्तमान नर्मदा घाटी में कभी डायनासोर की सल्तनत थी. वर्मा के मुताबिक यह बात कम से कम छह करोड़ साल पहले की है. उन्होंने बताया कि धार जिले में मिले ज्यादातर जीवाश्म सौरोपॉड परिवार के डायनोसोर के हैं, जो 20 से 30 फुट उंचाई के होते थे. यह डायनोसोर शाकाहारी थे और तत्कालीन रेतीले इलाकों में अंडे देने आते थे.


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