भोपाल। व्यापम द्वारा ली गई संविदा शिक्षक पात्रता परीक्षा में पास होने के बावजूद 200 गुरूजियों को फैल कर दिया गया। बाद में व्यापम ने अपनी गलती भी स्वीकारी परंतु अभी तक इन 200 गुरूजियों को पास घोषित नहीं किया गया है।
पूरी निष्ठा से लगातार काम करने के बावजूद मध्यप्रदेश के 10 हजार से ज्यादा गुरूजी एक दिहाड़ी मजदूर से भी कम पगार में शिक्षण कार्य में जुटे हुए हैं। इधर मासूम बच्चों के भविष्य को देखकर लापरवाही नहीं कर पाते और उधर अपने ही बच्चों की परवरिश की चिंता में तिल तिल मर रहे हैं।
जबरन अनुत्तीर्ण कर दिए गए 200 गुरूजियों का दर्द एक पीड़ित ने भोपालसमाचार.कॉम के पास भेजा है। हम इस मेल को यथावत प्रकाशित कर रहे हैं ताकि योग्य हाथों तक पहुंचे एवं उचित निर्णय के उपयोग में लिया जा सके।
प्रति,
श्रीमान एडिटर महोदय
भोपाल समाचार
महोदय,
मैं गुरूजी (शिक्षक) वर्ष 2001 से शाजपुर जिले के तहसील व विकास खण्ड मोहन बड़ोदिया की ग्राम पंचायत के अन्तर्गत आने वाला गाव सुल्तानपुरा में पदस्थ हूं मैंने डीएड. भी वर्ष 2007 में उत्तीर्ण कर ली थी उसके बाद आज तक शासन ने सभी के वेतन बढ़ाये लेकिन गुरूजीयों के साथ हमेशा अन्याय हो रहा हैं क्योंकि व्यापम के माध्यम से दो बार प्रात्रता परीक्षा ली एवं गलत प्रश्न दिये गये बार-बार रिजल्ट को बदला गया इस कारण मैं गुरूजी उत्तीर्ण होने के बाद वापिस अनुउत्तीर्ण कर दिया गया हैं एवं वेतन भी एक मजदूर से कम जो कि मात्र इसी वर्ष से 3600/-रूपये महीना मिल रहा हैं एक मजदूर का मजदूरी भी 200 से 300 रूपये रोज हैं।
मुझ गुरूजी ने व्यापम, राज्य षिक्षा केन्द्र भोपाल, जिला शिक्षा केन्द्र भोपाल सभी जगह आवेदन दिये एवं सभी कापीयों की प्रतिलिपि लगाई सहीं होने के बावजूद भी मैं उनुउत्तीर्ण होकर आज भी गुरूजी हूं, संविदा शिक्षक नहीं बन पाया हूं। मैंरे जैसे करीब 200 गुरूजी हैं जो इस तरह से उत्तीर्ण होने के बाद अनुउत्तीर्ण हो गये हैं।
आज करीब 10 हजार गुरूजी ऐसे बचे हैं जो गुरूजी हैं एवं जिनकी आयु भी 60 वर्ष हो चुकी है बेचारे गुरूजीयों ने पुरी जिन्दगी इस षिक्षक रहा मगर वेतन इतना कि घर भी बड़ी मुष्किल से चलता ।
माननीय मंत्री महोदय अर्चना चिटनीस ने भी गुरूजीयों के लिये विधानसभा में घोषणा की कि मानवीयता के आधार पर गुरूजीयों पर विचार किया जावें लेकिन सवाल यह हैं कि कब अब मुख्यमंत्री महोदय 22-जुलाई-2013 को गुरू दक्षिणा देने वाले हैं लेकिन किसको मिलेंगी केवल अध्यापक या संविदा शिक्षक या कुछ गुरूजीयों को स्थाई या संविदा बनाया जावेंगा।
नरेन्द्र तिवारी
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