भूरिया के आदिवासी केम्प पर शिवराज सिंह का हमला 17 जून से

भोपाल। मध्यप्रदेश के आदिवासियों की राजनीति करते करते केन्द्र सरकार में मंत्री पद तक पहुंचे कांतिलाल भूरिया के आदिवासी केम्प पर शिवराज सिंह ने हमले की तैयारियां पूरी कर लीं हैं। हमला 17 जून से शुरू होगा और 21 जुलाई को भूरिया के घर में घुसकर उन्हें शिवराज सिंह की लो​कप्रियता का एहसास करा दिया जाएगा।

भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा द्वारा प्रदेश में तीन राज्यों में आदिवासी जनजाग्रति यात्राएं निकाली जायेगी। प्रथम चरण यात्रा 17 जून से आरंभ होगी। 21 जून तक यात्रा के दौरान जनसभाएं, गोष्ठियां आयोजित की जायेगी। अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष गजेन्द्रसिंह पटेल ने बताया कि रानी दुर्गावती की प्रतिमा के 24 जून को डिंडोरी में अनावरण के साथ प्रथम चरण यात्रा का डिंडोरी में समापन होगा। अगले चरणों की यात्रा का विवरण तैयार किया जा रहा है।

गजेन्द्रसिंह पटेल ने आदिवासी जनजाग्रति यात्रा की तैयारियों के लिए आदिवासी बहुल अंचल में दौरे आरंभ कर दिए है। प्रथम चरण जनजाग्रति यात्रा डिंडोरी, मंडला, सिवनी, उमरिया, कटनी, शहडोल, अनुपपुर, सिंगरौली, सीधी, जबलपुर, बालाघाट में पहुंचेगी।

आदिवासी जनजाग्रति यात्रा का द्वितीय चरण 4 जुलाई से 8 जुलाई तक चलेगा। हरदा, बैतूल, होशंगाबाद जिलों में 6 विधानसभा क्षेत्रों में यात्रा सघन प्रवास करेगी।

यात्रा का तीसरा चरण 16 जुलाई से 21 जुलाई तक चलेगा। इसमें बड़वानी, खरगौन, खण्डवा, बुरहानपुर, देवास, धार, रतलाम, अलीराजपुर, झाबुआ जिले शामिल है। समापन अलीराजपुर में भाबरा में विशाल आदिवासी सम्मेलन के रूप में होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष व सांसद नरेन्द्रसिंह तोमर, मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष फग्गनसिंह कुलस्ते भाग लेंगे।

उन्होंने बताया कि आदिवासी सम्मेलनों और मंडल स्तरीय सम्मेलनों के सफल आयोजन के लिए संभागीय प्रभारी तैनात कर दिए गए है। जो जिलों में प्रवास में जुट गए है। इंदौर मुकामसिंह किराड़े, भोपाल गजेन्द्रसिंह पटेल, कल्याण सिंह डामोर, शहडोल प्रमिला सिंह, नरेन्द्रसिंह मरावी, ग्वालियर लालचन्द मझवार, सागर षिवेन्द्र रिपदुमनसिंह, रीवा डा. सी.एस. भवेदी, जबलपुर महेन्द्रसिंह चैहान, नर्मदापुरम गजेन्द्र शाह, चंबल मुकेष मल्होत्रा, उज्जैन शैलेन्द्र अलावा संभागीय प्रभारी होंगे।

सनद रहे कि सांसद कांतिलाल भूरिया प्रारंभ से आज तक लगातार इन्हीं आदिवासियों की राजनीति करते आए हैं। आदिवासियों के प्रतिनिधित्व के नाम पर ही उन्हें केन्द्र सरकार में मंत्री का पद मिला और यदि वो प्रदेश अध्यक्ष हैं तो उसके पीछे भी इन्हीं अधनंगे आदिवासियों  की बदौलत, लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि भूरिया के घर में शिवराज की सभा फ्लॉप ना हुई और आगामी विधानसभा चुनावों में आदिवासी बेल्ट से कांग्रेस जीत नहीं पाई तो भूरिया का क्या होगा ?

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