भोपाल। इधर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खेती को फायदे का धंधा बना रहे हैं, केन्द्र सरकार खेती किसानी के कामों के लिए सरकार को अवार्ड दे रही है, शिवराज सिंह की झोली बधाईयों से ओवरफ्लो हुई जा रही है और जमीनी हकीकत यह है कि किसान अपने खेत छोड़कर भाग रहे हैं।
मध्यप्रदेश में खेती को ऊपर उठाने के बावजूद भी किसानों की संख्या कृषि की तरफ कम हो रही है जिससे खेतों में काम करने वाले मजदूरों की संख्या बढ़ गई है जो कि सरकार के लिए सुखद नहीं बल्कि चिंता का विषय है।
राज्य के जनगणना कार्य निदेशालय आंकड़े बताते हैं कि देश में 90 लाख किसानों की संख्या कम हुई है, वहीं खेतों में काम करने वाले मजदूरों की संख्या में तीन करोड़ 80 लाख का इजाफा हुआ है। इसी तरह राज्य में वर्ष 2001 और 2011 के बीच 12 लाख किसान कम हुए हैं, वहीं दूसरी ओर 48 लाख खेतीहर मजदूरों की संख्या बढ़ी है। राज्य में कम हुए किसानों की संख्या देखें तो पता चलता है कि वर्ष 2001 में पुरूष किसानों की संख्या 69 लाख थी, जो बीते 10 वर्षों में घटकर 66 लाख रह गई है।
कहीं ऐसा तो नहीं कि ये पलायन कर गए 12 लाख किसान वही हैं जो पिछली सूची में किसान के रूप में दर्ज थे और इस सूची में बच्चों सहित मजदूर की श्रेणी में। लव्वोलुआब यह कि कहीं ये 12 लाख वो तो नहीं जो 2001 तक किसान थे और अब मजदूर हो गए है।