वैभव श्रीधर@जागरण भोपाल। इंदौर के बहुचर्चित सुगनीदेवी जमीन घोटाले के बाद शिवराज काबीना के कद्दावर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को पेंशन घोटाले में भी क्लीनचिट मिल गई है। घोटाले की जांच में ऐसे कोई सबूत सामने नहीं आए हैं जिससे विजयवर्गीय की सीधे भूमिका तय हो सके।
हालांकि, इंदौर में पेंशन योजना के 15 हजार हितग्राहियों का अब तक पता नहीं लगा है। नंदानगर समिति ने भी पेंशन के बचे हुए 17 लाख रुपए जमा कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि जस्टिस जैन आयोग की रिपोर्ट का परीक्षण कर रही कैबिनेट की सब कमेटी पावस सत्र में रिपोर्ट सदन में पेश कर सकती है।
जस्टिस एनके जैन ने सिंतबर के पहले पखवाडे़ में राष्ट्रीय वृद्धावस्था और सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में अनियमितता की जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपी थी। हजार पेज की इस रिपोर्ट में योजना के क्रियान्वयन को लेकर कई गंभीर सवाल तो उठाए गए लेकिन किसी पर सीधे निशाना नहीं साधा गया। निकायवार चार वॉल्यूम में पेश की गई रिपोर्ट में निकायों में हुई गड़बड़ियों का खुलासा करते हुए लेखा संपरीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट को नत्थी किया गया है। इसमें यह भी बताया गया कि प्रदेश में करीब सवा लाख अपात्रों को पेंशन धड़ल्ले से लंबे समय तक दी जाती रही। इसमें कई तो काफी पहले मर चुके थे। इनके खातों में करीब 23 करोड़ रुपए पडे़ रहे। काफी लिखा-पढ़ी के बाद यह रकम शासन के खजाने में वापस आई। रिपोर्ट में उठाए गए बिन्दुओं के परीक्षण के लिए सरकार ने वरिष्ठ मंत्री जयंत मलैया की अध्यक्षता में केबिनेट सब कमेटी बना दी। इसमें चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्रा और संसदीय कार्य मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा को शामिल किया गया।
जानकारी के मुताबिक समिति की अब तक तीन बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन, यह अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है। उधर, सूत्रों का कहना है कि इंदौर के पेंशन घोटाले की जांच से शुरू हुआ मामला प्रदेशभर में पसरा हुआ है। जहां तक बात इंदौर के घोटाले की हैं तो इसमें तत्कालीन महापौर और विधायक कैलाश विजयवर्गीय की सीधे भूमिका कहीं से उजागर नहीं हो रही है। इंदौर में सहकारी समितियों के माध्यम से पेंशन बांटने का फैसला नगर निगम का था। इसमें सभी शामिल थे। लेकिन, यह कदम भी तब उठाया गया जब प्रदेश में पेंशन बांटने के लिए कोई पुख्ता तंत्र नहीं था।
जस्टिस जैन आयोग की वजह से पेंशन खाते में बांटने की व्यवस्था लागू हुई। इसके पहले कोई निकाय नकद राशि दे रहा था तो कोई बेयरर चैक या मानी ऑर्डर से। इसमें घपले-घोटाले की आशंका सर्वाधिक रहती है। बताया जा रहा है कि नंदा नगर समिति ने पेंशन की बची रकम करीब 17 लाख भी वापस कर दी है। लेकिन, जिन हितग्राहियों को पेंशन अदा की गई उनका कहीं कोई पता नहीं लग रहा है। पूरे जिले में ऐसे हितग्राहियों की संख्या 15 हजार के आसपास बताई जा रही है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह पूरा मामला व्यक्ति विशेष का न होकर सामूहिक जिम्मेदारी कस बन रहा है।
समग्र में किया एक-एक का सत्यापन
सरकार ने पेंशन योजना में फर्जीवाडे़ के आरोप लगने के बाद अब एक-एक हितग्राही का समग्र सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम में सत्यापन कराया है। जहां यह काम पूरा नहीं हुआ है उन्हें मई अंत तक पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि सत्यापन में भी कई ऐसे हितग्राही पाए गए हें जो योजना के दायरे में ही नहीं आते हैं। इनके नाम हटाने की कवायद तेजी से की जा रही है।
दरअसल, विभाग मई की पेंशन हितग्राहियों के सीधे खाते में जमा करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सुरक्षा कार्यक्रम को मिशन मोड में चलाने का फैसला किया गया है।