इंदौर। रांची के पुलिस अफसर की बेटी के अपहरण में संदेह के आधार पर पुलिस जिस कार की तलाश कर रही थी, वह एक बड़े बिल्डर की निकली। इस कार का नंबर घटना के प्रत्यक्षदर्शी ने पुलिस को बताया था। मध्यप्रदेश पुलिस ने इस मामले में हाथ खड़े कर दिए थे, लेकिन दैनिक भास्कर की खोजी टीम ने वह कार खोज निकाली।
इसी आधार पर आधी रात को पुलिस जांच के लिए बिल्डर के घर पहुंची। कार का आरटीओ में अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है, फिर भी इस पर नंबर दर्ज है।
सिल्वर कलर की कार में पीछे की सीट पर लेटी थी लड़की
प्रत्यक्षदर्शी मनोज शर्मा (परिवर्तित नाम) ने पुलिस को बताया- 13 मई को शाम करीब 8 बजे वह सिटी बस से तेजाजी नगर की ओर जा रहा था। अचानक ट्रैफिक जाम हो गया और बस कुछ देर के लिए रुकी। तभी सिल्वर कलर की एक बड़ी लक्जरी कार रांग साइड से बस के करीब से गुजरी। मैंने बस से झांक कर देखा तो कार की पिछली सीट की पायदान पर एक लड़की पड़ी हुई थी। उसने पीले कपड़े पहन रखे थे। कार चालक युवक बहुत घबराया नजर आ रहा था। मैंने तत्काल गाड़ी का नंबर (एमपी 09 एसक्यू 11) सेव कर लिया। अगले दिन जैसे ही छात्रा के अपहरण की खबर पढ़ी तो पुलिस अफसरों से संपर्क किया।
पुलिस को नहीं मिली संदेही कार, भास्कर के पत्रकार ने खोज निकाली
पहले तो पुलिस को मनोज की बातों पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन बाद में एक टीम आरटीओ ऑफिस पहुंची और कार की जानकारी मांगी। आरटीओ ने रिकॉर्ड तलाशा और बताया कि इस नंबर पर कोई वाहन रजिस्टर्ड नहीं है। पुलिस ने खंडवा टोल नाके के सीसीटीवी फुटेज में भी इस कार को तलाशा लेकिन फुटेज साफ नहीं होने के कारण स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई।
पुलिस ने इस ओर ध्यान देना भी बंद कर दिया, लेकिन भास्कर ने जब पड़ताल शुरू की तो पता चला कि उक्त नंबर खातीवाला टैंक में रहने वाले बिल्डर जितेंद्र डोडेजा की सिल्वर रंग की फॉरच्यूनर कार का है। हालांकि आरटीओ रिकार्ड में यह नंबर अब तक अलाट नहीं किया गया है, लेकिन डोडेजा के लिए यह नंबर रिजर्व हो चुका है। डोडेजा ने 23 जनवरी को देवास रोड स्थित कार शोरूम से धर्मी देवी इंटरप्राइजेस 388 खातीवाला टैंक के नाम से गाड़ी खरीदी थी। उसके बाद उसने आरटीओ कार्यालय में संपर्क किया और अपनी पंसद के 11 नंबर की मांग रखी। इसके लिए एक नेता ने भी आरटीओ अधिकारियों पर दबाव बनाया।
अब पुलिस बिल्डर को बचाने की कोई भी कोशिश कर ले, लेकिन इतना तो साफ हो गया है कि इन्दौर का बिल्डर जितेन्द्र डोडेजा फर्जी नंबर लिखकर अपनी फॉरच्यूनर कार चला रहा था और गाड़ियों पर फर्जी नंबर का उपयोग वही करते हैं जो मूलत: शातिर बदमाश हुआ करते हैं।