ऐसी सेंकेंड के टॉयलेट में चार घंटे तक तड़पते रहीं गर्भवती मॉं और नवजात बेटी

भोपाल। रेलवे ने किराए में वृद्धि तो कर दी लेकिन यात्रियों को वो किस तरह लावारिस छोड़ देती है इसका एक और उदाहरण उधना-बनारस एक्सप्रेस के सेकेंड ऐसी में देखने को मिला। यहां एक महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती रही, बाथरूम में ही प्रसव हो गया। इस बीच ट्रेन ने 200 किलोमीटर से ज्यादा का सफर किया और कई स्टेशनों से गुजरी परंतु डॉक्टर उपलब्ध नहीं कराया गया।

उधना-बनारस एक्सप्रेस के सेकंड एसी कोच ए-1 में बर्थ नंबर 17-18 में ओमप्रकाश पाल और उनकी पत्नी संगीता पाल सफर कर रहे थे। वे उधना से बनारस जा रहे थे। जब संगीता पाल सुबह लगभग 5.45 बजे बाथरूम गईं, तभी उन्हें असहनीय प्रसव पीड़ा हुई और बाथरूम में ही उन्होंने बच्ची को जन्म दिया। उन्होंने जैसे-तैसे खुद को और बच्ची को संभाला।

करीब आधे घंटे तक संगीता वहीं तड़पती रही, तभी एक अन्य महिला मुसाफिर बाथरूम की तरफ आई तो वह यह सब देखकर घबरा गई। उसने तुरंत ओमप्रकाश को बुलाया, तब पता चला कि बच्ची का जन्म बाथरूम में ही हो चुका है। ट्रेन के खंडवा पहुंचने पर टीटी ने कहा कि अगले स्टेशन हरदा में डॉक्टर को बुला लेंगे, लेकिन हरदा में कोई डॉक्टर नहीं आया। इस दौरान महिला की हालत बिगड़ती गई।

हंगामे के बाद मिली मदद

वहां उपस्थित मुसाफिरों ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद इटारसी में डॉक्टर और नर्स ने संगीता का उपचार किया।  डॉक्टर इलाज करने के बाद ओमप्रकाश से 300 रुपए फीस लेकर चले गए।

सुबह करीब पौने छह बजे एसी कोच नं. ए-1 के बाथरूम में जच्चा-बच्चा आधे घंटे तक तड़पते रहे। इस दौरान बच्चे की नाल महिला ने जैसे-तैसे काटकर बाथरूम का दरवाजा खोला, तब एक अन्य महिला मुसाफिर, जो बाथरूम आई थी, उसकी मदद से पति को बुलवाया।

जीआरपी और आरपीएफ ने नहीं की मदद

जीआरपी और आरपीएफ के जवानों को भी इस घटना की जानकारी थी, इसके बाद भी उन्होंने पीडि़त महिला की मदद के लिए कोई पहल नहीं की। यात्रियों का कहना है कि इस पूरे मामले में रेलवे के अधिकारियों का रवैया नकारात्मक रहा। उन्होंने घटना के बारे में मार्ग में आगे आने वाले किसी भी रेलवे स्टेशन प्रभारी को सूचना तक नहीं दी।

इलाज के लिए लंबा इंतजार

जब मुझे इस घटना का पता चला तो मैंने अन्य लोगों की मदद से टीटी को जानकारी दी, लेकिन टीटी ने अगले स्टेशन पर इलाज मुहैया कराने के लिए कहा। हरदा में डॉक्टर नहीं पहुंचा तो टीटी ने अगले स्टेशन इटारसी में डॉक्टर बुलाने की बात कही। स्टेशन पर जब गाड़ी रुकी तो 15 मिनट तक कोई डॉक्टर नहीं पहुंचा, तब अन्य मुसाफिरों ने कहा कि हम गाड़ी आगे नहीं बढऩे देंगे, तब जाकर एक डॉक्टर आया।

विकास अग्रवाल
यात्री

डॉक्टर आया औपचारिकता निभाई और फीस लेकर चला गया

करीब चार घंटे तक हम उपचार के लिए परेशान होते रहे। सूचना देने के बाद भी किसी ने मेरी पत्नी के इलाज के लिए कुछ नहीं किया। इटारसी में यात्रियों के हंगामे के बाद डॉक्टर आए और औपचारिकता निभाकर मुझसे 300 रुपए फीस लेकर चले गए।

ओमप्रकाश पाल
पीडि़त यात्री

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