गरोठ (मंदसौर)। कन्या भ्रूण हत्या के चलते देश में सबसे कम लिंगानुपात होने का कलंक झेल रहे राज्य पंजाब और हरियाणा मध्यप्रदेश के इस गांव से सीख ले सकते हैं।
यहां के मंदसौर जिले के गुराडिय़ा नरसिंह में बेटे-बेटियों में फर्क नहीं देखा जाता। सरकार जहां बेटे-बेटियों में अंतर पाटने के लिए बेटी बचाओ जैसा अभियान चला रही है वहीं यह गांव लोगों के लिए आदर्श बना हुआ है। गांव में 20 साल में आबादी में ज्यादा परिवर्तन भी नहीं आया है। यानी लगभग स्थिर है।
इस गांव में 25 परिवार ऐसे हैं जिन्होंने बेटियों के बाद नसबंदी करवा ली। इनमें से सात ने अच्छी परवरिश के लिए बेटे-बेटी में फर्क नहीं समझा और दो बेटियों के बाद नसबंदी करवाई। अब वे बेटियों को बेटों के बराबर अच्छी शिक्षा दे रहे हैं।
परिवार नियोजन में भी आगे
यह गांव परिवार नियोजन में भी सबसे आगे है। इसी कारण 20 साल से यहां की जनसंख्या स्थिर है। पंचायत सचिव राकेश पाटीदार के अनुसार 2001 से 2011 के बीच 227 बच्चों का जन्म हुआ जबकि 103 लोगों की मृत्यु हुई। 10 साल में 114 लोग ही बढ़े। 1991 से 2011 तक 312 लोग बढ़े। एएनएम कृष्णा सोनी के मुताबिक 100 लोगों ने परिवार नियोजन करवा रखा है।
- कुल परिवार 275
- पाटीदार समाज 125
- मीणा समाज 50
- अन्य समाज 100
- साक्षरता में भी अव्वल: साक्षरता 73.9 फीसदी