भोपाल। छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले के बाद मप्र सरकार का अनपेक्षित चेहरा सामने आया है। इस हमले में मारे गये छत्तीसग़़ढ पुलिस के एक मप्र मूल के आरक्षक के परिवार को मप्र सरकार ने दस लाख रपये और पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति देने के वादे के साथ परिवार के जख्मों पर मरहम रखा लेकिन इसी हमले में मारे गये अविभाजित मप्र के पूर्व गृहमंत्री नंदकुमार पटेल, विधायक महेंद्र कर्मा को लेकर सरकार को कुछ नहीं सूझा।
राजनीतिक सौहर्द व दो राज्यों के बीच के परस्पर लगाव के दावे भी इसलिए भी बेमानी नजर आए क्योंकि इन नेताओं के अंतिम संस्कार में भी मप्र सरकार की ओर से प्रतिनिधि तक नहीं भेजा गया।
उल्लेखनीय है कि पटेल मप्र में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे थे। उनके जिम्मे गृह विभाग था। अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि नक्सलियों द्वारा नृशंस हत्या के बाद मप्र की मौजूदा सरकार में इस बाबद कदम आदि उठाने के बारे में सोचा जरूर गया, लेकिन नियमों को देखने के बाद सरकार मौन हो गई। बताया जाता है कि पूर्व मंत्री की मौत के प्रकरण में शोक आदि घोषित करने का कोई नियम नहीं है। हालांकि पटेल के प्रति नियमों से हटकर भी सरकार द्वारा कुछ सदाशयता दिखाने की उम्मीद की जा रही थी क्योंकि कई मामलों में सरकार की ओर से नियमों को शिथिल करने या नई परंपरा कायम करने की मिसालें सामने ही हैं।
अंत्येष्टि में कोई नहीं गया
दूसरी ओर नंदकुमार पटेल,महेंद्र कर्मा आदि के सोमवार को हुए अंतिम संस्कार के लिये मुख्यमंत्री का जाना तो दूर, मप्र सरकार की ओर से कोई अधिकारी या मंत्री भी छत्तीसग़ढ नही भेजा गया। अब इस मामले में अफसरों के मुंह पर ताले हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि दिवंगत नेताओं की अलग अलग स्थानों पर अत्येष्टि के चलते भी सरकार के समक्ष दुविधा रही। अलबत्ता 27 मई को मुख्यमंत्री के शासकीय दौरा कार्यक्रम निरस्त जरूर कर दिये। कुल मिलाकर नंदकुमार पटेल नक्सली समस्या की बलि जरूर च़़ढ गये, लेकिन मप्र में उनकी पहचान आगे किस रूप में होगी, यह भी तय नहीं है।
उधर छत्तीसगढ़ पुलिस बल में पदस्थ मप्र के अनूपपुर जिले के निवासी सिपाही राहुल प्रताप सिंह का पूरे राजकीय सम्मान के साथ जिले के कुह्लड़िया घाट में अंतिम संस्कार किया गया।
अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रतिनिधि के रूप में वन एवं राजस्व राज्य मंत्री जयसिंह मरावी मौजूद रहे,उन्होंने शहीद के पिता वीरेन्द्र कुमार सिंह को सरकार की ओर से 10 लाख रुपये का चेक दिया और बताया कि मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवार को एक आवास और शहीद की पत्नी को शासकीय सेवा में नौकरी देने की घोषणा की है। स्व.राहुल प्रताप सिंह वर्तमान में जिला पुलिस बल जगदलपुर में पदस्थ थे।