नईदिल्ली से हरीश लखेड़ा@अमरउजाला। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में कांग्रेस नेताओं पर हुए बर्बर नक्सली हमले ने विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक की उम्मीद पाले भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। भाजपा के आला नेता दबी जबान में कुबूल रहे हैं कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई इस घटना से कांग्रेस के प्रति उपजी सहानुभूति न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के भी चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकती है।
पार्टी को नक्सली हमले में आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा की निर्मम हत्या का असर छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में पड़ने की भी आशंका है। पार्टी यह भी स्वीकार कर रही है कि इस एक घटना ने बीते नौ साल से भी अधिक समय तक बेदाग छवि रखने वाले मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की छवि को एकाएक दागदार बना दिया है।
उधर कांग्रेस लोगों की सहानुभूति को चुनाव तक बरकरार रख कर वोट में बदलने के लिए फुलप्रूफ रणनीति तैयार करने में जुटी है। भाजपा की योजना इस बार भी राज्य में जनवितरण प्रणाली के माध्यम से सस्ता चावल उपलब्ध करा कर ‘चाउर वाले बाबा’ बने रमन की छवि को भुनाने की थी।
दस साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई बड़ा मुद्दा न होने के कारण जहां विपक्ष परेशान था, वहीं भाजपा राज्य में जीत की हैट्रिक लगाने के प्रति आश्वस्त थी। मगर इस हमले ने पार्टी का समीकरण बिगाड़ कर रख दिया है।
पार्टी के एक शीर्ष नेता ने इस पत्रकार से कहा कि इस हमले से पहले हम जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त थे। लेकिन अब पार्टी रक्षात्मक मुद्रा में है। विकास और सस्ता चावल उपलब्ध कराने जैसे मुद्दे बहुत पीछे छूट गए हैं।
खुद मुख्यमंत्री को सुरक्षा में हुई भारी चूक सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करनी पड़ी है। अब पूरे चुनाव में कांग्रेस हमलावर होगी और हमें जवाबी हमला करने के बदले रक्षात्मक भूमिका निभानी होगी।
पार्टी नेतृत्व को इसका प्रभाव छत्तीसगढ़ से लगे मध्यप्रदेश के सीमावर्ती आदिवासी बहुल इलाकों में भी पड़ने का डर सता रहा है।
खुद पार्टी के बड़े नेता मान रहे हैं कि अगर चुनाव तक यह सहानुभूति कायम रही तो न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि मध्यप्रदेश में भी चुनावी वैतरणी पार करना आसान नहीं होगा। इन दोनों ही राज्यों के चुनाव नतीजे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को सीधे प्रभावित करेंगे।
उधर, कांग्रेस चुनाव तक पार्टी के प्रति सहानुभूति बनाए रखने की रणनीति तैयार करने में जुटी है। पार्टी ने विधान सभा चुनाव में इसी मुद्दे को भुनाने और भाजपा पर तीखा हमला बोलते रहने की रणनीति बनाई है।
अगर हमले में घायल पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल चुनाव से पहले स्वस्थ हो गए, तो पार्टी उन्हें बड़ा दायित्व दे सकती है।
सहानुभूति कायम रखने के लिए पार्टी नेतृत्व ने महेंद्र कर्मा के पुत्र को आदिवासी बहुल बस्तर क्षेत्र में बड़ी भूमिका देगी। तो दिवंगत प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल की जगह पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाले केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री डॉ चरणदास महंत को राज्य की जिम्मेदारी दे सकती है।
कांग्रेस की पूरी कोशिश हमले के बाद पार्टी के पक्ष में बने माहौल को विधान सभा चुनाव तक कायम रखना है। इसलिए इस दौरान पार्टी के दिग्गज नेताओं का राज्य में लगातार दौरा होगा। स्वयं पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी मिशन छत्तीसगढ़ की रणनीति पर्दे के पीछे तैयार करने में जुटे हैं।