मेरी मम्मी आशा कार्यकर्ता हैं, मैने उनकी तपस्या देखी है

नेहा पाटीदार। मेरी मम्मी आशा कार्यकर्ता हैं मेने देखा है की वो किस तरह हम को छोड़-छोड़ कर दिन रात ग्रामीण लोगों की सेवा करती हैं। आज उनका गावं में बहुत सम्मान है। उनके कहने पर गावं की महिलाओं ने शराब बंदी का आन्दोलन किया था आज गावं में शराब की कोई दूकान नहीं है।

चुनाव में नेता लोग उनसे आकर वोट दिलवाने को कहते है ...मेरी माँ ने मुझे पढ़ा लिखा कर इस काबिल बनाया की में नोकरी कर रही हूं मुझे फक्र है उन पर ..और सबसे जयादा उन संविदा कर्मचारियों पर जो मेरी मम्मी के साथ हैं।

उन्होंने ही मेरी मम्मी का होंसला बढ़ाया था ...आज गावं की कोई महिला उन्हें कहे बिना कोई काम नहीं करती तो मुझे बहुत ख़ुशी महसूस होती है।

संविदा संघ आपके लिए लड़ रहा है आप भी एक होकर लड़ें जीत आपकी ही होगी थोड़ी परेशानी जरुर होती हे लेकिन जीत होती जरुर है। जो लोग अपने लोगों का साथ नहीं देते भगवान् भी उनका साथ नहीं देते। इसलिए आप भी अपने संघ के साथ रहो और जो लोग आपके होकर भी आपके साथ नहीं हे उन्हें मेरी चूडिया भेंट कर देना।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!