मध्यप्रदेश कार्यसमिति 30 मई को जारी राजनैतिक प्रस्ताव

0
आज जब यह कार्यसमिति हो रही ह्रै एक बड़ी दुखद घटना ने हम सभी को भीतर तक झकझोर दिया है। कुछ ही वर्षों पूर्व तक हमारे प्रांत का अंग रहे छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में कांग्रेस के 3 वरिष्ठ नेताओं सहित 30 लोगों की हत्या हुई। अत्यंत दुखदायी इस घटना की यह कार्यसमिति कड़ी निंदा करती है।

देश में आजादी के बाद के पिछले 62 वर्षों की सामाजिक आर्थिक नीतियों ने देश में नक्सलवाद को बढ़ावा दिया है। इनमें से लगभग 55 वर्ष एक ही दल कांग्रेस की सरकारें रही हेंै। लेकिन नक्सलवाद राजनैतिक लाभ-हानि के गणित में उलझकर रह गया। भारतीय जनता पार्टी का हमेशा से मानना रहा है कि हिंसा कभी किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकती।

आज कांग्रेस छत्तीसगढ़ में हुई हिंसा की जिस नक्सली घटना को लेकर आंदोलित है उसी नक्सलवाद को पूर्व में कांग्रेस के एक राष्ट्रीय महामंत्री और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री हिंसक गतिविधि मानने से इंकार करते रहे। भारतीय जनता पार्टी जब यह कह रही थी कि नक्सलवाद अब आतंक का स्वरूप ले चुका है तो कंाग्रेस के यही नेता नक्सलियों की पैरवी करते रहे थे।

आज देश जानना चाहता है कि जब केन्द्रीय गृहमंत्री श्री चिदम्बरम ने नक्सली समस्या को आतंकवाद मानते हुए कड़ी कार्यवाही करने हेतु ठोस योजना बनाने का बयान दिया था तो आखिर क्यों मात्र 24 घंटे के भीतर ही उनको पीछे हटना पड़ा। यदि उसी समय योजनानुसार कठोर कार्यवाही प्रारंभ कर दी गयी होती तो यह दुखद त्रासदी नहीं होती। इस दुखद घटना ने यह साबित कर दिया है कि नक्सलवाद के साथ केंद्र सरकार का निपटने का तरीका ढुलमुल अव्यवहारिक तथा राजनैतिक लाभ लेने का रहा है।

ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए आवश्यक है कि केंद्र सरकार नक्सल प्रभावित राज्यों के साथ समन्वय बनाकर नक्सलवाद से निपटने का हौसला दिखाये। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसे हौसले की कमी यूपीए सरकार में स्पष्ट रूप से दिखायी देती है। इसी हौसले का ही अभाव है कि देश में आतंकवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आज आवश्यकता है श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की उस इच्छा शक्ति की जिसमें आतंकवाद से निपटने पोटा जैसा कड़ा कानून बनाया गया था। लेकिन यूपीए सरकार ने उस कानून को भी समाप्त कर आतंकवाद को बढ़ने का अवसर प्रदान किया।

यह कार्य समिति साधुवाद देना चाहती है माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी को कि उन्होंने मध्यप्रदेश में आतंकवाद जैसी गतिविधियों से निपटने के कड़े कानून का प्रस्ताव विधानसभा से पारित कर केंद्र के पास भेजा था। लेकिन केंद्र सरकार की तुष्टिकरण की नीति ने इसे आज तक रोक रखा है।

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि यूपीए सरकार में सत्ता के दो केन्द्र हैं। यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के पास सरकार की सारी शक्तियां हैं, लेकिन जिम्मेदारी कुछ नहीं और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास सारी जिम्मेदारियां है, लेकिन शक्ति कुछ नहीं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में इतना असहाय प्रधानमंत्री कभी नहीं हुआ। जिसका दुष्परिणाम सामने आ रहा है। हमारी विदेश नीति चरमरा गयी है। चीन न सिर्फ हमें चारों तरफ से घेरने की कोशिश कर रहा है बल्कि विगत दिनों सरकार की कमजोरी का फायदा उठाकर हमारी सीमा के अंदर 18 किलोमीटर तक घुसकर आंखे दिखाता रहा। प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री इस घुसपैठ से इनकार करते रहे। सेना की स्वीकारोत्ती और सेना द्वारा सरकार से इस घुसपैठ से निपटने हेतु निर्देश मांगने के बाद सरकार ने स्वीकार किया कि चीन सीमा के अंदर है।

भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि पूरा देश एक साथ है और ऐसी स्थिति से सख्ती से निपटना चाहिए। देश की स्वतंत्रता और संप्रुभता पर किसी भी तरह का हमला दुष्साहस मानकर इसका मुंहतोड़ उत्तर दिया जाना चाहिए। लेकिन हमारे विदेश मंत्री अत्यंत कमजोरी का प्रदर्शन करते हुए चीन जाने की बात करते रहे। भारतीय जनता पार्टी सहित पूरे देश ने इस कदम का विरोध किया। पूरे देश में रोष उत्पन्न होने के बाद चीन पीछे हटा लेकिन आज पूरा देश जानना चाहता है कि किन शर्तों पर चीन पीछे हटा है। हमने बदले में फिर क्या खोया है। वास्तव में चीन के मामले में हम तब तक खोते रहंेगे, जब तक हम चीन के सामने कमजोरी का नहीं बल्कि बराबरी का प्रदर्शन नहीं करेंगे। चीन हमसे आबादी में अधिक है, सामरिक शक्ति भी शायद ज्यादा हो, लेकिन आज पाकिस्तान, बंग्लादेश जैसे देशों से भी हमें लगातार चुनौती मिल रही है।

पाकिस्तान तो लगातार न सिर्फ हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है बल्कि सीमा पर भी लगातार दुस्साहस कर रहा है। हम कैसे भूल सकते हैं कि हमारी सीमा के चैकसी कर रहे हमारे दो वीर जवानों शहीद हेमराज और सुधाकर की हत्या अत्यंत बर्बरतापूर्ण ढंग से पाकिस्तान के सैनिकों ने की थी। इन सबके बाद भी केंद्र की निकम्मी यूपीए सरकार बातचीत से विवाद सुलझाने की बात करती है। पाकिस्तान की जेलों में बंद हमारे निर्दोष नागरिकों के साथ अमानवीय बर्ताव हो रहा है।

एक निर्दोष सरबजीत सिंह की मौत ने तो पूरे देश को हिलाकर रख दिया, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री पाकिस्तान के नव निर्वाचित प्रधानमंत्री जो पूर्व में प्रधानमंत्री रहते हुए अपने जनरल को कारगिल युध्द के लिए नहीं रोक सके, जो पाक प्रायोजित आतंकवाद को नहीं रोक सके उन्हें सर्वप्रथम भारत में आने के लिए आमंत्रण देते हैं। हम कैसे भूल सकते हैं कि बांग्लादेश से होने वाली अवैध घुसपैठ न सिर्फ हमारे देश के लिए खतरा है बल्कि वे हमारे देश के सीमित संसाधनों पर भी डाका डाल रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार अपने वोट बैंक की चिन्ता कर रही है।

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यह यूपीए सरकार हर मोर्चे पर विफल है, एक तरफ तो भीषण महंगाई से देश के आम आदमी का जीना मुश्किल होता जा रहा है वहीं दूसरी ओर एक के बाद एक घोटालों ने देश की जनता को हतप्रभ कर दिया है। कामन वेल्थ घोटाला, टू जी घोटाला, डीडीए घोटाला, वायुयान खरीद घोटाला, टेट्रा ट्रक घोटाला, कोलगेट घोटाला, देवास मल्टीमीडिया घोटाला जैसे अनेकों घोटाले जो धरती, आसमान और पाताल तीनों जगह हुए हैं। इनमें देश की जनता के हजारों करोड़ रू0 की लूट हुई है। और ऐसे हर घोटाले में कांग्रेस और यूपीए के मंत्रियों, सांसदों के नाम स्पष्ट रूप से सामने आये। इन घोटालेबाजांे ने तो खेल को भी नहीं छोड़ा और अब तो आई.पी.एल. जैसे खेलों में भी मैच फिक्सिंग जैसे घोटाले सामने आये हैं।

आज देश में अर्थ व्यवस्था की बुरी हालत है। मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है, विकास दर घट रही है। विदेशों से विकास की प्रेरणा लेने की दीवानगी इस हद तक है कि यूपीए सरकार ने भारत को भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक हमारी परम्परागत व्यवस्था को समझे बिना ही देश में एफ.डी.आई. को स्वीकृति दे दी है। यह जानते हुए भी कि देश में इससे करोड़ों परिवार बेरोजगारी की चपेट में आ जायेंगे। लेकिन मध्यप्रदेश के गरीब हितैषी मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी ने तत्काल यह घोषणा की कि रिटेल मंे एफडीआई को मध्यप्रदेश में लागू नहीं होने देंगे। इसके लिए यह कार्यसमिति माननीय शिवराज सिंह जी का अभिनंदन करती है। लेकिन जन हित में लिए गए इस निर्णय को भी कांग्रेस विरोध की दृष्टि से देखती है।

यह ऐसी क्रूर सरकार है जिसने उच्चतम न्यायालय के समक्ष दिये गये शपथ पत्र में लिखा था कि देश में शहरी क्षेत्र में 32 रू0 और ग्रामीण क्षेत्र में 26 रू0 प्रतिदिन कमाने वाला गरीब नहीं है।

इस सरकार के मंत्री गरीबों का मजाक बनाते हैं, उनके भरपेट भोजन करने के अधिकार को महंगाई से जोड़ते हैं। अव्यवहारिक, अक्षम और अकर्मन्य लोगों के पास इस सरकार की नीतियों को बनाने की जिम्मेदारी है जिसका खामियाजा पूरे देश की जनता को भुगतना पड़ रहा है।

भ्रष्टाचार के मामले में कीर्तिमान स्थापित करने वाली यह सरकार नैतिकता और मर्यादाओं को भी तिलांजली दे चुकी है। कोल ब्लाक आवंटन के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय के इस स्पष्ट निर्देश के बाद भी कि जांच रिपोर्ट सरकार को नहीं दिखाई जायेगी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छबि पर दाग लगते देख प्रधानमंत्री कार्यालय सहित कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने सी.बी.आई अधिकारियों को बुलाकर स्टेट्स रिपोर्ट में बदलाव कर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बचाने की कोशिश की। मामला सामने आने के बाद प्रधानमंत्री ने अश्विनी कुमार के पक्ष में कई तरह के तर्क दिये। बाद में सुप्रीम कोर्ट की फटकार व भाजपा के देश व्यापी विरोध के कारण कानून मंत्री का त्यागपत्र लिया गया। यदि यह त्यागपत्र संसद सत्र के चलते ही ले लिया गया होता तो संसद का बजट सत्र बर्बाद नहीं होता। इसके लिए प्रधानमंत्री व यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी की हठधर्मिता पूरी तरह से जिम्मेदार है।

शर्मनाक स्थिति यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए सीबीआई को केंद्र सरकार का तोता कहा और अब इससे अधिक हास्यास्पद बात क्या होगी कि वही केंद्र सरकार सीबीआई को स्वायत्ता प्रदान करने के लिए एक केबिनेट समिति बनाने की बात कर रही है। यह ऐसी स्थिति है कि सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।

देश में ऐसी निर्लज्ज सरकार इसके पहले कभी नहीं आई जिसकेे मंत्रियों पर नीतियों के क्रियान्वयन और सामान खरीदी में तो रिश्वत लेने के आरोप तो हैं ही लेकिन अधिकारियों की नियुक्ति में भी करोड़ों रू0 की घूस के आरोप किसी मंत्री पर लगे ऐसा कभी नहीं हुआ। वह भी तब जब मंत्री पवन बंसल हों जिनकी ईमानदारी की कसमें केंद्र सरकार खाती रही हंै। लेकिन जांच की परतें खुलने से यह स्पष्ट हो गया है कि रेलवे के एक अधिकारी को मनमाफिक नियुक्ति के मामले में 10 करोड़ की डील हुई थी जो रेल मंत्री पवन बंसल की सहमति के बिना नहीं हो सकती थी। पवन बंसल को बचाने मंे भी सरकार ने पूरी ताकत लगायी लेकिन भाजपा के साथ देश की जनता के रोष के बाद ही पवन बंसल से इस्तीफा लिया गया। यह एक ऐसी सरकार है जिसके भ्रष्टाचार पर एक पूरा श्वेत पत्र ही लाया जा सकता है।

भारत एक विविधिताओं से भरा देश है। इसकी विविधताओं और मत भिन्नताओं को दृष्टिगत रखकर ही हमारे संविधान निर्माताओं ने संघीय व्यवस्था को स्वीकार किया था और उसी का अनुकरण कर हमारा लोकतंत्र विश्व में सम्मानीय और अनुकरणीय है।
लेकिन दुर्भाग्य से आज कांग्रेस इस मूल भावना की उपेक्षा कर इस ढांचे को ध्वस्त करने में लगी है, जो हमारी संस्कृति और परंपराओं से एकदम विपरीत है। देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार है जो एक ही देश के भीतर अलग-अलग राज्यों के साथ अलग-अलग व्यवहार करती है। जहां-जहां भाजपा शासित राज्य हैं, वहां-वहां भेदभाव चरम पर है। राजनैतिक भेदभाव तो कांग्रेस की परंपरा है। लेकिन देश के ही नागरिकों के साथ भेदभाव सिर्फ इस आधार पर कि वहां सरकार कांग्रेस की नहीं है। यह तानाशाही है और यूपीए सरकार तानाशाही पूर्ण व्यवहार लगातार कर रही है।

वह भी तब जब मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार देश में सर्वश्रेष्ठ कार्य कर रही है। माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर देश में सर्वाधिक लगभग 19 प्रतिशत है। जबकि देश की कृषि विकास दर लगभग 2 प्रतिशत है। एक ऐसा प्रदेश जहां सर्वाधिक कृषि उत्पादन के लिए केंद्र सरकार और राष्ट्रपति महोदय प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी को पुरूस्कार देते हैं। लेकिन जब उसी प्रदेश में किसानों पर प्राकृतिक आपदा आती है किसान की फसल ओले और पाले से चैपट होती है तो सहायता करने की अपनी जिम्मेदारी से यूपीए सरकार दूर भागती है और पालों को प्राकृतिक आपदा मानने से ही इंकार कर देते हैं। जब किसानों के हित में समर्थन मूल्य बढ़ाने की बात माननीय शिवराज ंिसंह जी करते हैं तो इस बात की अनदेखी होती है लेकिन यह कार्यसमिति अभिनंदन करना चाहती है अपने मुख्यमंत्री का जिन्होंने न सिर्फ पाले को प्राकृतिक आपदा घोषित किया बल्कि प्राकृतिक आपदा के रूप में दी जाने वाली राहत राशि को भी तीन से पाॅंच गुना तक बढ़ाया और समर्थन मूल्य पर 150 रू. प्रति क्ंिवटल का बोनस देकर किसान को आत्मनिर्भर बनाकर उसका सम्मान बढ़ाया। देश के अन्नदाता की खून और पसीने की मेहनत से पैदा किया गया अनाज में से हर साल 58 हजार करोड़ का अनाज केंद्र सरकार सड़ने देती है। लेकिन सड़ने से पहले यह अनाज गरीबोें में बांटने की बात स्वीकार नहीं करती।

सड़कें किसी भी प्रदेश और देश के विकास की रीढ़ है। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में पूरे देश में सड़कों का जाल बिछाने का कार्य प्रारंभ किया गया था लेकिन यह यूपीए सरकार न सिर्फ इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय विकासोन्मुखी योजना की घोर उपेक्षा कर रही है बल्कि मध्यप्रदेश से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की दुर्दशा जानबूझकर कर रही है। आज प्रदेश में बाहर से आने वाला कोई भी व्यक्ति आसपास की दो सड़कें देखकर आश्चर्य में पड़ जाता है एक सड़क अत्यंत समतल, गढ्ढा विहीन और शानदार वहीं दूसरी उखड़ी और गढ्ढों से भरी हुई। मध्यप्रदेश का कोई बच्चा भी यह बताकर उसके भ्रम को दूर कर देता है कि जो अच्छी और शानदार सड़क है वह मध्यप्रदेश राज्य की सड़क है और जो उखड़ी और गढ्ढों वाली सड़क है वह राष्ट्रीय राजमार्ग है यानि केंद्र सरकार की। कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार राजनैतिक भेदभाव से इस कदर ग्रसित है कि इसने मध्यप्रदेश के लिए पूर्व से स्वीकृत अंतर्राज्यीय मार्ग तथा अनेकों सीआरएफ की सड़कें भी निरस्त कर दीं जो प्रदेश की जनता तथा विकास के लिए आवश्यक थीं। लोग स्मरण करते हैं कि श्रद्धेय अटल जी की सरकार के समय पूरे देश में प्रत्येक राज्य में चाहे किसी भी दल की सरकार क्यों न हो भेदभाव किसी के साथ नहीं था। यदि आज केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार होती तो सड़क निर्माण के अपने प्रदर्शन के कारण हमारा मध्यप्रदेश संपूर्ण देश में सबसे विकसित राज्य होता।

आज तो स्थिति यह है कि मामला चाहे प्रदेश के गरीब के लिए इंदिरा आवास का हो या गरीबी रेखा से नीचे या ऊपर रहने वाले लोगों को खाद्यान्न के कोटे का अथवा बिजली उत्पादन के लिए कोल आबंटन का हो या रेल सुविधाओं का हर मामले में केंद्र की यूपीए सरकार मध्यप्रदेश के साथ भेदभाव कर रही है।

इतना ही नहीं अटल जी ने एक स्वप्न देखा था इस देश के किसानों को प्राकृतिक आपदा से मुक्त करने का। कही सूखा तो कहीं बाढ़ इस स्थिति से हर वर्ष किसान खून के आंसू रोता है। अटल जी ने योजना बनाई थी ‘‘नदी जोड़ो अभियान’’। जिसके माध्यम से देश की प्रमुख नदियों को एक-दूसरे से जोड़कर बाढ़ और सूखा दोनों के ही प्रकोप को समाप्त करना था। यह दुर्भाग्य है हमारा कि देश में कांग्रेस की सरकार आई और आते ही इसने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया। यदि इस योजना पर अमल प्रारंभ होता तो देश के हर किसान की फसल हर मौसम में लहलहाती और देश का अन्नदाता कभी आत्महत्या नहीं करता जैसा आज कांग्रेसशासित राज्यों में कर रहा है। किन्तु हमें गर्व है अपने मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी पर जिन्होंने सीमित संसाधनों के बाद भी अटल जी के स्वप्न को पूरा करने का बीड़ा उठाया और देश में सर्वप्रथम मध्यप्रदेश में एक या दो नहीं बल्कि पूरी पंाच पवित्र नदियों को जोड़ने का कार्य प्रारंभ कर दिया है और अब नर्मदा, क्षिप्रा, पार्वती, काली सिंध व चंबल मध्यप्रदेश की जनता की जीवन दायनी बनकर अन्य राज्यों को भी प्रेरणा देंगी।

शिक्षा, स्वास्थ्य और सिंचाई जनहित से जुड़े हर मुद्दे पर मध्यप्रदेश के साथ भेदभाव हो रहा है। वह भी तब जब मध्यप्रदेश ने पूरे देश में जनकल्याणकारी योजनाओं के साथ माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में विकास का एक माॅडल प्रस्तुत किया है।

केंद्र सरकार को यदि यह भ्रम है कि वह राज्यों के हितों की अनदेखी कर वह देश को विकास के रास्ते पर ले जाने का भ्रम जनता को दे सकती है तो यह कांग्रेस की बड़ी भूल है। केंद्र सरकार के ऐसे भेदभाव पूर्ण और तानाशाही रवैये से देश की प्रगति में जो बाधा आयेगी उसकी कीमत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व रिमोट से सरकार को चलाने वाली श्रीमती सोनिया गांधी को तो चुकानी ही होगी, साथ में देश को भी अपूरणीय क्षति होगी। मध्यप्रदेश की जनता इसके लिए इन्हें माफ नहीं करेगी।

आज सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश की जनता केंद्र की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के इस कार्यकाल को देश के लोकतंत्र पर एक काले धब्बे के रूप में देख रही है। भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसे निकम्मी, भ्रष्टाचारी सरकार इससे पहले कभी नहीं आई।

यह कार्यसमिति केंद्र की यूपीए सरकार को चेतावनी देती है कि मध्यप्रदेश के साथ भेदभावपूर्ण व्यवाहर बंद कर देश की संघीय व्यवस्था व राजधर्म का पालन करें अन्यथा भाजपा के साथ प्रदेश के 7 करोड़ लोग अपने अधिकारों की रक्षा हेतु सड़कों पर उतर कर इस यूपीए सरकार की उसकी अक्षमता व अदूरदर्शिता के लिए सत्ता से उखाड फेकंेगे।

साथ ही कार्यसमिति भाजपा के अपने सभी कार्यकर्ताओं का आव्हान करती हैै कि देश की इस भ्रष्ट और जनविरोधी सरकार को उखाड़ फेंकने लोकतांत्रिक ढंग से निर्णायक लड़ाई हेतु तैयार हो जायें।

धन्यवाद ।
जय भारत
जय मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश कार्यसमिति 30 मई को जारी राजनैतिक प्रस्ताव शब्दश: वैसा ही प्रकाशित किया गया जैसा कि भाजपा मीडिया सेंटर द्वारा प्रेषित किया गया। 
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

Post a Comment

0 Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!