भोपाल। इसे 'देर आए, दुरुस्त आए' कहा जाना चाहिए। कॉलोनाइजर की जालसाजी को रोकने के लिए नगर निगम अब नई योजना पर काम कर रहा है। जिसके तहत मकान या जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद इसकी जानकारी स्वत: ही जिला प्रशासन सहित टीएंडसीपी को भी मिल जाएगी। इसके लिए तीनों विभागों को एक ही सॉटवेयर से लिंक किया जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार निगम और टीएनसीपी ने इस योजना को जल्द लागू करने के लिए कार्ययोजना बनानी शुरू कर दी है। इसके लिए जल्द ही एक प्रस्ताव राज्य प्रशासन को भी भेजा जाएगा। बताया गया है कि इस मॉडल के तहत कॉलोनी बनाने वालों को कॉलोनी की समस्त जानकारियां नगरीय निकाय, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग आदि विकास एजेंसियों के साथ जिला प्रशासन को भी देनी होगी। इसके साथ ही पूरी जानकारी आनलाइन हो जाएगी, जिससे खरीदारों को पूरी जानकारी नेट पर हासिल हो जाए। निगम का मानना है कि इस प्रस्ताव के बाद अवैध कॉलोनियों की समस्या से निजात मिलेगी।
ऐसे बसती हैं अवैध कॉलानियां
बिल्डर परेशानियों से बचने और मुनाफा कमाने के चक्कर में नगर निगम की परमीशन और डायवर्सन के बिना ही कॉलोनियां विकसित कर देते हैं। इससे ये अपने मकानों या जमीन की कीमत कम कर लोगों को लुभाते हैं। कम कीमत के चलते अवैध कॉलोनियों (बगैर किसी परमिशन के बसी) की ओर से तेजी से भागते हैं।
पुराने नियम हैं कमजोर
जिला प्रशासन के मुताबिक मौजूदा समय में नई कॉलोनियों को लेकर जो नियम हैं, वह काफी पुराने हैं। मौजूदा नियमों से इन्हें रोक पाना मुश्किल है। साथ ही खरीददार भी अवैध कालोनियों की जानकारी आसानी से नहीं मिल पाती है। अभी कॉलोनाइजरों के नाम, कॉलोनी के नक्शे व अन्य जानकारी के लिए टीएंडसीपी के जिला आफिस में सूचना के अधिकार के तहत या लैंडयूज सर्टिफिकेट के जरिए यह जानकारी दी जाती है। हालांकि यह प्रक्रिया जटिल है।