अब BRTS के बहाने फिर ​मोदी v/s शिवराज

भोपाल। भोपाल—इन्दौर के लोग, नहीं नहीं, भोपाल—इन्दौर के बुद्धिजीवि और संभ्रांत लोग अब बीआरटीएस के बहाने मोदी और शिवराज की तुलना कर रहे हैं। एक बीआरटीएस अहमदाबाद में बना और एक अपने यहां बन रहा है। कितना अंतर है दोनों में और कौन है दमदार। कुछ इस तरह की बातें हो रहीं हैं।

आखिर ऐसी कौन सी वजह है, जिसके चलते अहमदाबाद का बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) देखते ही देखते दुनियाभर के टॉप फाइव बीआरटीएस में शुमार हो गया और अब तक इसको सात नेशनल और इंटरनेशनल अवॉर्ड मिल चुके हैं। इस वजह को कोई भी अहमदाबाद निवासी बडे सहज भाव से समझा देगा कि, हमारे सीएम नरेंद्र भाऊ ने सोचा कि ऐसा होना चाहिए और म्युनिसिपल के अधिकारियों ने रात-दिन जुटे रहकर साकार कर दिखाया।

अहमदाबाद का बीआरटीएस यानी जनमार्ग सिर्फ राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक दृढ़ता से ही साकार हो कर दुनिया में सराहा जा रहा है। जनमार्ग बनाने मुकम्मल योजना बनाने का जिम्मा सेप्ट यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद को दिया गया, जिसने प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने से पहले चार महीने तक सर्वे किया।

इस सर्वे में बुद्धिजीवियों, पुलिस और ट्रैफिक के अधिकारियों, वाहन चालकों से लेकर छात्रों तक से सुझाव लिए गए। इसके बाद सिटी मैप को सामने रखकर सेप्ट ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की।

और इधर अपने मध्यप्रदेश में बन रही है एक बीआरटीएस। क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है और नहीं होता तो ज्यादा अच्छा होता। ना जाने क्या क्या आरोप लग रहे हैं शिवराज सरकार पर। काम है कि पूरा होने का नाम ही नहीं ले रहा। जितना बना नहीं, उतना बिगाड़ा जा चुका है। कितने का गोलमाल हुआ यह तो बाद की बात है, फिलहाल तो यह कि जो हुआ वो भी काम का नहीं है। फिलहाल सब कचरा है, पता नहीं विधानसभा चुनाव से पहले बन भी पाएगा या नही।

ये है अपने शिवराज जी का बीआरटीएस 

और ये है गुजरात वाले नरेन्द्र भाई मोदी का बीआरटीएस


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