भोपाल। आयोग के गठन के बाद यह पहला मामला है जिसमे किसी अधिकारी के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण न्यायालय में दर्ज किया जा रहा है। आयोग ने एक मामले में बुरहानपुर की महिला एवं बाल विकास संरक्षण अधिकारी श्वेता जाधव को अनुशंसा का पालन प्रतिवेदन भेजने और इसके बाद आयोग में हाजिर होने के निर्देश दिए थे।
आयोग में उपस्थित नहीं होने और जवाब न देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध आयोग ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत कार्यवाही की गई है।
आयोग के अनुसार ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 13(4) के अंतर्गत कार्यवाही की जायेगी। इस धारा में आयोग को न्यायालय की शक्तियां प्राप्त हैं। इसमें एक वर्ष तक का कारावास और अधिकतम एक हजार रुपये दंड दिये जाने का प्रावधान है।
आयोग ने नवंबर में कलेक्टर, एसपी सहित 14 अधिकारियों को नोटिस उनके वरिष्ठ अधिकारियो के मार्फत तामील किये गये थे। इसके बाद सभी लोगों ने विभिन्न प्रकरणों में ताबड़तोड़ अपने जवाब आयोग को भेज दिये थे।
वर्तमान प्रकरण में आयोग ने आवेदिका छायाबाई और शालिनी चौधरी को ससुराल वालों द्वारा प्रताड़ित किये जाने संबंधी आवेदन पर बुरहानपुर की महिला संरक्षण अधिकारी श्वेता जाधव से प्रतिवेदन मांगा था। कई बार स्मरण पत्र भेजने के बाद भी जब उन्होंने आयोग को अपना जवाब नहीं भेजा, तब उन्हें आयोग में उपस्थित होने का नोटिस कलेक्टर, बुरहानपुर के माध्यम से तामील कराया गया था। इसके बाद भी वे आयोग में उपस्थित नहीं हुई।