भोपाल। एक कहावत है 'काठ की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती' अपनी विदिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अब यही हाल होने लगा है। लोग उनकी मीठी मीठी बातें और सीएम बनने के बाद घड़ी घड़ी घोषणाओं को मजाक में लेने लगे हैं। अंत्योदल मेले में पठारी को विदिशा की 11वीं तहसील की घोषणा के समय कुछ ऐसा ही हुआ।
अंत्योदय मेले के दौरान जब सीएम शिवराज सिंह चौहान पठारी को विदिशा जिले की 11वीं तहसील बनाने की घोषणा कर रहे थे तो लोगों ने औपचारिक तालियां तो पीटीं परंतु उन्हें मालूम है कि पठारी फिलहाल दो चार साल तो तहसील नहीं बनने वाला। शिवराज जी ने कह दिया है, और अपुन लोगों ने सुन लिया।
ऐसा इसलिए भी क्योंकि पूर्व में वो विदिशा जिले में ही तीन और तहसीलों की घोषणा कर चुके हैं। त्योंदा, गुलाबगंज और शमशाबाद को शिवराज सिंह चौहान घोषणाओं में तहसील बना चुके हैं परंतु ग्रामीणों की परेशानियां यथावत हैं। इन तीनों तहसीलदारों में न तो तहसीलदार आज तक नियुक्ति किए गए और न ही उनका आफिस स्टाफ।
सनद रहे कि ग्राम पंचायत जैत, विधानसभा बुधनी, जिला सीहोर निवासी शिवराज सिंह चौहान की राजनीति का उदय विदिशा से ही हुआ है। वो विदिशा से ही संसद की चौखट तक पहुंचे और यह विदिशा की भूमि का ही प्रताप कहा जाता है कि वो मुख्यमंत्री तक जा पहुंचे। इन दिनों विदिशा लोकसभा के मतदाताओं ने भारत को नेताप्रतिपक्ष चुनकर भेजा है। राजनीति में विदिशा को 'शिवराज की विदिशा' भी कहा जाता है।