सहकारी बैंक मैनेजर को बचाते बचाते खुद फंस गए भिंड कलेक्टर अलिखेश श्रीवास्तव

भोपाल। दो अदालतों और शासन के निर्देश के बावजूद जिला सहकारी बैंक भिंड के प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के मामले में कलेक्टर अखिलेश श्रीवास्तव की जांच विधि विभाग के एडीजे स्तर के दो अधिकारी करेंगे। यह जांच तीन महीने में पूरी होगी। प्रबंधक वायके सिंह को मंगलवार को निलंबित किया जा चुका है। विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने विधि मंत्री नरोत्तम मिश्रा को इस संबंध में बुधवार को सदन में निर्देश दिए।

यह मामला कांग्रेस विधायक चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और कांग्रेस सदस्य एनपी प्रजापति ने ध्यानाकर्षण के जरिए उठाया था। चतुर्वेदी का कहना था कि सदन की प्रश्न एवं संदर्भ समिति ने कलेक्टर श्रीवास्तव के खिलाफ अनुशंसा की थी। प्रबंधक वायके सिंह को निलंबित करने के लिए सहकारिता विभाग के सहायक आयुक्त ने 18 जुलाई 2012 को पत्र लिखा। इसके बाद संयुक्त आयुक्त ने 18 नवंबर को 2012 को पत्र लिखा। सिंह ने अपेक्स बैंक से धोखाधड़ी कर प्रतिनियुक्ति प्राप्त की थी।

बावजूद इसके कलेक्टर ने कार्रवाई नहीं की। इसके बाद 6 दिसंबर 2012 को सहकारिता आयुक्त ने भी कलेक्टर को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा। जिसमें कपटपूर्ण कार्य से बैंक को हानि पहुंचाने वाले प्रबंधन को एक माह में हटाने को कहा गया था। लेकिन नहीं हटाया गया। इसके बाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई। कोर्ट ने 30 जनवरी 2013 को कहा कि कलेक्टर कार्यवाही करें और एफआईआर दर्ज कराएं। इसके बाद सीजेएम कोर्ट ने भी आदेश दिया कि सहायक आयुक्त के आदेश पर अमल कर प्रबंधक को तत्काल सेवा से कार्यमुक्त कर एफआईआर दर्ज कराएं। लेकिन कार्रवाई नहीं की गई।

विधानसभा अध्यक्ष रोहाणी ने कहा कि कलेक्टर का रोल संदेहास्पद रहा। सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने बताया कि प्रबंधक को कलेक्टर के पत्र से ही निलंबित किया गया है। कलेक्टर ने विभाग के प्रमुख सचिव और अपेक्स बैंक एमडी को 22 फरवरी 2013 को इस संबंध में पत्र लिखा था। रोहाणी ने कहा कि इस मामले में दो अदालतों को हस्तक्षेप करना पड़ा, इस मामले की जांच कराने में क्या दिक्कत है? उन्होंने विधि मंत्री से उनका पक्ष जानना चाहा।

विधि मंत्री मिश्रा ने कहा कि सदस्य इस संबंध में तथ्य देंगे तो जांच करा ली जाएगी। मंत्री ने कहा कि प्रबंधक सिंह का तबादला पहले किया गया था, जिस पर स्टे हो गया था, कलेक्टर क्या करते। अध्यक्ष ने कहा कि तथ्य विधि मंत्री को दिए जाएं, वे जांच करा लेंगे। मंत्री ने इसे स्वीकार कर लिया। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि ध्यानाकर्षण नहीं लगता तो वायके सिंह निलंबित ही नहीं किए जाते। सरकार अगर भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की बात करती है और मंत्री मुख्यमंत्री को अन्ना हजारे के बराबर बताते हैं तो कलेक्टर को निलंबित करें। सहकारिता मंत्री ने कहा कि ध्यानाकर्षण सूचना का विषय कलेक्टर नहीं, वायके सिंह है। उस पर कार्रवाई को गई। नेता प्रतिपक्ष ने टिप्पणी की सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती रहेगी।
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