उपभोक्ताओं को चूना लगा रहीं थीं बिजली कंपनियां, नियामक आयोग ने अधिकार छीने

भोपाल। बिजली नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों से बिजली दरों में उतार चढ़ाव के अधिकार वापस ले लिए हैं क्योंकि बिजली कंपनियां फ्यूल एडजस्टमेंट कॉस्ट के नाम पर मनमानियां कर रहीं थी।

विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरों के नए टैरिफ प्लान की घोषणा के साथ ही विद्युत कंपनियों से फ्यूल चार्ज एडजस्मेंट कॉस्ट के नाम पर दरों में बदलाव के अधिकार वापस ले लिए हैं। आयोग के अध्यक्ष राकेश साहनी ने कहा कि अधिकार देने के बाद कई कंपनियों ने गणना में त्रुटि की थी।

फ्यूल एडजस्टमेंट कॉस्ट के नाम पर कंपनियां कोयले के दामों में होने वाले उतार-चढ़ाव के आधार पर अपने हिसाब से बिजली की दरों में वृद्धि करती रही हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनियों ने चार तिमाही में क्रमश: 13, 10, 17 और 25 पैसे प्रति यूनिट दाम बढ़ाए थे।

आयोग के अध्यक्ष साहनी ने कहा कि बिजली के दामों में ज्यादा वृद्धि करने की जरूरत नहीं है। राज्य सरकार ने 24 घंटे बिजली देने जा रही है जिससे खपत बढ़ेगी और इससे राजस्व बढ़ेगा। इसी तरह कई नए पावर प्लांट लगने से बिजली की उपलब्धता भी बढ़ेगी।

आयोग ने तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के लिए वितरण हानियों की अधिकतम सीमा तय कर दी है। पूर्व क्षेत्र वितरण कंपनी के लिए 23 प्रतिशत, पश्चिमी क्षेत्र के लिए 20 प्रतिशत तथा मध्य क्षेत्र वितरण कंपनी के लिए 23 प्रतिशत वितरण हानि का स्तर तय किया गया है।

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