भोपाल। आरटीई के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान करने के लिए अधिनियम स्थापित किया गया है। इसके तहत यदि कोई बच्चा स्थानांतरण प्रमाण-पत्र (टीसी) की मांग करता है, तो उसे तुरंत प्रमाण पत्र जारी करें।
गैर अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों में कमजोर वर्ग के 25 प्रतिशत बच्चों को कक्षा एक और यदि स्कूल में प्री-स्कूल की शिक्षा है, तो उसमें प्रवेश दिया जाए। राज्य शिक्षा केंद्र ने निजी स्कूलों के शिक्षकों के मार्गदर्शन के लिए आरटीई से संबंधित गाइड लाइन जारी की है। इसे आदर्श आचार संहिता के रूप में स्थापित किया गया है।
जिसके लिए सभी डीपीसी को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने जिले के निजी स्कूलों में संहिता के प्रावधानों के क्रियान्वयन के संबंध में शिक्षकों को अवगत कराएं। इसके अनुसार आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों तथा अन्य बच्चों की कक्षाओं के स्थान व समय में भिन्नता नहीं होंगी और इन बच्चों के साथ किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं होगा।
धारा 12 में इसका उल्लेख किया गया है। निजी स्कूल यदि प्रवेश के समय बच्चों या अभिभावकों की स्क्रीनिंग करते हैं, तो उन पर भी कार्रवाई होगी, कैपिटेशन फीस पर भी रोक लगाई गई है। धारा 17 के तहत विद्यार्थियों के शारीरिक दंड या उसको मानसिक रूप से प्रताड़ित करने पर कार्रवाई का प्रावधान है। संहिता में शिक्षकों के कर्त्तव्य वर्णित किए गए हैं। शिक्षकों के यह कर्त्तव्य मुख्य रूप से कोर्स को पूरा करने तथा बच्चों के शिक्षण के स्तर से जुड़े हुए हैं।