राकेश दुबे@प्रतिदिन। देश कि सरकार भले ही यह कहे कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यकम की रिपोर्ट कह रही है कि भारत एक मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में उभर रहा है| सही हो सकता है,लेकिन उसी रिपोर्ट के शेष विषय यह कह रहे है कि बांग्लादेश नेपाल और पाकिस्तान भारत से कुछ मामलो में आगे निकल गये है और ये विषय किसी दल विशेष कि प्रशंसा या निंदा का सामान भी नही जुटाते|
हाँ, 2014 के चुनाव में मतो को जरुर प्रभावित करेंगे| देश के प्रमुख राजनीतिक दलों के थिंक टैंक अपने घोषणा पत्रों में इस रिपोर्ट की काट और अपने वादों कि दिशा तलाशने में जुटे हैं|
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की 23वीं रिपोर्ट कहती है कि भारत मानव विकास के मामले में 134वे स्थान से नीचे खिसक कर 136 वें पायदान पर पहुंच गया है| गौर तलब बात यह है कि बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान मानव विकास सूचकांक में भारत से आगे निकल गये हैं| इस रिपोर्ट में साफ लिख हुआ है कि लैंगिक समानता के मामले में भारत की स्थिति दक्षिण एशिया में बेहद कमजोर है| संसद से बड़ा कोई और उदाहरण इस विषय पर नहीं दिया जा सकता| विश्व में महिला सांसदों का प्रतिशत अनुपात 20.3 है, तो भारत में यह अनुपात 10.9 है|
इसी प्रकार स्वास्थ्य ,शिक्षा और अन्य मामले है | देश के सभी राजनीतिक दलों के लिए यह शोध और चुनावी घोषणा पत्र का अनिवार्य अंग हों चाहिए कि मानव विकास के लिए उनकी नीति क्या होगी ? विदेशी मुद्रा का भंडार बढाने और राजकोषीय घाटे को कम करने से ज्यादा जरूरी मानव विकास है और इसे सर्वोच्च प्राथमिकता मिलना ही चाहिए|
- लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं।