भोपाल। लोग नेताओं से नफरत क्यों करते हैं, क्योंकि वो हरकत ही ऐसी करते हैं। जब पब्लिक परेशान होती है तो मुंह छिपा लेते हैं, लेकिन जैसे ही श्रेय लेने का मौका मिले, सब कामकाज छोड़कर पहुंच जाते हैं मुस्कुराते हुए। छतरपुर के प्रभारीमंत्री ने भी ऐसा ही किया। मासूमों का जब अपहरण हुआ तो न जाने कहां छिपे बैठे थे, मिल गए तो जा पहुंचे वाहवाही लूटने।
चारों ओर चापलूसों से घिरे सरकार के मंत्रियों को लगता है कि दुनिया में दिमाग केवल उनके पास ही है। वो जो भी करें सही। जनता का क्या, जनता तो बेवकूफ है। बस तालियां बजाने के काम आती है।
ऐसा ही आखों में धूल झोंकने वाला काम किया है अनुसूचित जाति कल्याण राज्य मंत्री एवं छतरपुर जिले के प्रभारी मंत्री हरिशंकर खटीक ने।
7 जनवरी को जब मासूमों का अपहरण हुआ और चौकी प्रभारी ने ग्रामीणों की सुनवाई नहीं की तब तक मंत्रीजी चुप थे।
8 जनवरी को आक्रोशित ग्रामीणों ने जाम लगाया। पुलिस अधिकारी मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए तत्काल मौके के लिए रवाना हुए। आईजी से लेकर सिपाही तक तीन जिलों की तमाम पुलिसफोर्स खाना पीना छोड़कर मासूमों को तलाशती रही। पूरी रात जंगल में गुजारी, लेकिन माननीय मंत्रीजी पता नहीं, कहां छिपे थे। न गांव पहुंचे, न जाम खुलवाया, न बयान जारी किया। व्यस्त जो थे।
9 जनवरी को जैसे ही सुबह खबर मिली की मासूम मिल गए हैं, सकुशल हैं, गांववाले खुश हैं, पुलिस को धन्यवाद दे रहे हैं तो सारे काम काज छोड़कर जा पहुंचे गांव। ग्रामीणों के बीच में। श्रेय बटोरने।
इतना ही नहीं पूरी चिंता के साथ भोपाल से प्रेस रिलीज भी जारी करवाया। ऐसा जताया, जैसे बड़ी चिंता थी मंत्रीजी को, खाना पीना छोड़कर केवल मासूमों की फिक्र कर रहे थे।
पढ़िए क्या कुछ लिखा है इस प्रेस रिलीज में:—
अनुसूचित जाति कल्याण राज्य मंत्री एवं छतरपुर जिले के प्रभारी मंत्री हरिशंकर खटीक ने आज छतरपुर जिले की बिजावर तहसील के ग्राम ऐरोरा पहुँचकर अपह्त बच्चों के परिजनों से मुलाकात की। श्री खटीक ने ग्रामवासियों को बताया कि राज्य सरकार ने उनकी सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए हैं। राज्य मंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे शीघ्र इस गाँव में विशेष शिविर लगाकर ग्रामीणों की समस्याओं को सुनें और उनका निराकरण करें।
पुलिस एवं जिला प्रशासन की कार्यवाही के बाद अपहृत 9 बच्चों को आज उनके परिजनों को सौंपा गया। ग्राम ऐरोरा में विगत गुरूवार को इन बच्चों का अपहरण हुआ था। घटना की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रभारी मंत्री श्री खटीक को घटना-स्थल पहुँचकर समीक्षा के निर्देश दिए थे। अपह्त बच्चों को ग्राम अमरपुरा में खोजा गया। प्रभारी मंत्री के साथ विधायक श्रीमती रेखा यादव एवं जिला प्रशासन के अधिकारी मौजूद थे।
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इस पूरी की पूरी राजनीति पर 'अपनेराम' का केवल एक सवाल:- जब मुख्यमंत्रीजी ने निर्देश दिए थे, तब जनसंपर्क संचालनालय क्या छुट्टी पर था जो प्रेस रिलीज जारी नहीं किया गया और दूसरा सवाल यह कि मासूमों के मिलने से पहले तक माननीय मंत्रीजी कहां व्यस्त थे और कहां से बैठकर चिंता कर रहे थे। जंगलों में तो पूरी की पूरी मीडिया भी मौजूद था। मंत्रीजी कहां थे।
और अंत में केवल एक सलाह। यह पूरी की पूरी सफलता केवल और केवल सागर संभाग के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की संवेदनशीलता के कारण मिली है। यदि वो विषय की संवेदनशीलता नहीं समझते तो शायद मासूमों की मुक्ति कतई संभव नहीं थी। कम से कम टीआई स्तर के अधिकारियों के बस का तो यह मामला था ही नहीं।
नेता उनकी मेहनत का श्रेय कितना भी लूटने की कोशिश करें लेकिन भोपालसमाचार.कॉम की ओर से उन तीन जिलों के तमाम जवानों और उनके अधिकारियों को सलाम, जिन्होंने इस संवेदनशील मामले में तत्परता दिखाई और यह जानते हुए कि सफलता सुर्खियों में नहीं आएगी, पूरी शिद्दत से मेहनत की। एवं मासूमों को मुक्त कराने में अहम, निर्णायक एवं एकमात्र भूमिका निभाई
