भोपाल। शताब्दी के यात्रियों को पूरी उम्मीद थी कि उसे हबीबगंज से चलाए जाने की मांग हर हाल में पूरी हो जाएगी। मामला हाईप्रोफाइल ट्रेन का होने के कारण इसमें नेगेटिव कुछ नहीं था परंतु पवनकुमार बंसल के श्रीमुख से भोपाल के लिए कोई शुभसमाचार नहीं निकला। उन्होंने मिसरोद में एक कारखाने की घोषणा की है, परंतु पिछले साल घोषित कारखाने का ही अब तक कुछ नहीं हुआ तो इसका क्या होगा, भगवान जाने।
प्रदेश की राजधानी भोपाल के लिए रेल बजट निराशाजनक ही रहा। सीधे तौर पर कोई भी नई ट्रेन भोपाल को नहीं मिली। केवल यहां से गुजरने वाली गाडिय़ों को हॉल्ट दिए गए। हालांकि मिसरोद में मोटराइज्ड बोगियों को मरम्मत और पुनर्निर्माण कारखाना जरूर मिल गया।
पूर्व में मिसरोद में मेमू ट्रेन के मेंटेनेंस के लिए कारखाने की घोषणा की गई थी पर उसका कार्य शुरू नहीं हो सका था। रेल मंत्री पवन बंसल ने संभवत: उसी कारखाने की जगह यह नया कारखाना खोले जाने की स्वीकृति बजट में दी है। इसका मुख्य कारण मेमू के कारखाने को सतना शिफ्ट किया जाना बताया जा रहा है।
भोपाल में यह नई गाडिय़ां हॉल्ट लेंगी:
- हजरत निजामुद्दीन-मुंबई फुल एसी साप्ताहिक एक्सप्रेस
- कालका-शिर्डी साईं नगर एक्सप्रेस सप्ताह में दो दिन
- दुर्ग-जयपुर साप्ताहिक एक्सप्रेस
- बीकानेर-चेन्नई एसी साप्ताहिक एक्सप्रेस
संपर्क क्रांति के फेरे बढ़े: इसी तरह हजरत निजामुद्दीन से यशवंतपुर के बीच चलने वाली संपर्क क्रांति एक्सप्रेस को दो की जगह चार दिन कर दिया गया है। अभी तक यह गाड़ी सप्ताह में दो दिन चलती है।
नई दिल्ली-भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस को हबीबगंज तक बढ़ाने के मामले पर कोई फैसला रेल बजट में नहीं हो सका है। सांसद, विधायकों, मंत्रियों व यात्रियों की मांग को रेल मंत्री ने दरकिनार कर दिया है।